बॉम्बे हाईकोर्ट ने 'JIO' ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में रिलायंस को अंतरिम राहत दी

Update: 2025-10-09 04:30 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को अंतरिम निषेधाज्ञा जारी करते हुए www.jiocabs.com डोमेन नाम से टैक्सी सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों द्वारा उसके रजिस्टर्ड 'JIO' ट्रेडमार्क के इस्तेमाल पर रोक लगाई।

जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की पीठ ने कहा कि रिलायंस ने प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला बनाया और कहा कि एक प्रसिद्ध ब्रांड का निरंतर उपयोग गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

पीठ ने कहा,

"एक प्रसिद्ध और संरक्षित ब्रांड नाम का निरंतर उपयोग वास्तव में गंभीर नुकसान पहुंचाएगा। प्रतिवादियों द्वारा अपनाए गए तरीकों को देखते हुए सुविधा का संतुलन भी अंतरिम राहत देने के पक्ष में होगा।"

सुनवाई के दौरान, रिलायंस ने तर्क दिया कि वह JIO ट्रेडमार्क का मालिक है और कई श्रेणियों में रजिस्टर्ड है। उसने दावा किया कि टैक्सी सेवाओं के लिए इस ट्रेडमार्क का विवादित उपयोग ट्रेडमार्क उल्लंघन के बराबर है। डोमेन [www.jiocabs.com} और संबंधित प्रचार सामग्री में कथित तौर पर ऐसे नाम और लोगो शामिल है, जो रिलायंस के पंजीकृत ट्रेडमार्क के समान या भ्रामक रूप से मिलते-जुलते हैं।

अदालत को बताया गया कि रिलायंस ने पहली बार 2016 में JIO ट्रेडमार्क अपनाया और 2011 और 2012 में रजिस्ट्रेशन प्राप्त किया था। कंपनी ने प्रस्तुत किया कि उसका ट्रेडमार्क एक प्रसिद्ध ट्रेडमार्क है और उसने अपनी ब्रांडिंग के सक्रिय दुरुपयोग को दर्शाने के लिए स्क्रीनशॉट, व्हाट्सएप चैट और तस्वीरें रिकॉर्ड पर रखीं।

यह दिखाने के लिए भी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए कि कानूनी नोटिस प्राप्त होने के बाद कुछ सामग्री में संशोधन करने के बावजूद प्रतिवादियों ने डोमेन नाम को अपने पास रखना जारी रखा।

रिलायंस की ओर से पेश हुए वकील ने आगे तर्क दिया कि यह आचरण ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 के तहत उल्लंघन के बराबर है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि बाजार में आगे दुरुपयोग और भ्रम को रोकने के लिए अंतरिम संरक्षण आवश्यक है।

अदालत ने इन दलीलों को स्वीकार कर लिया और प्रतिवादियों को JIO मार्क, [www.jiocabs.com] डोमेन नाम और रिलायंस के पंजीकृत ट्रेडमार्क या कॉपीराइट सामग्री के समान या भ्रामक रूप से मिलते-जुलते किसी भी लोगो, लेबल या कलाकृति का उपयोग करने से रोकने का आदेश पारित किया।

अब मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर, 2025 को होगी। प्रतिवादियों को आदेश अपलोड होने के चार सप्ताह के भीतर जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी गई।

Case Name: Reliance Industries Limited v Asif Ahmed and Ors

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