बॉम्बे हाईकोर्ट ने Deepfakes की वास्तविक प्रकृति पर चिंता जताई, अक्षय कुमार के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा की

Update: 2025-10-17 05:13 GMT

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके बनाई जा रही Deepfake तस्वीरों और वीडियो की "वास्तविक" प्रकृति पर चिंता व्यक्त की।

सिंगल जज जस्टिस आरिफ एस. डॉक्टर ने अपने 15 अक्टूबर के आदेश में कहा कि व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा की मांग करने वाले मशहूर हस्तियों के ऐसे मामलों में यह देखना चिंताजनक है कि AI द्वारा बनाई गई सामग्री भ्रामक और इतनी परिष्कृत है कि किसी के लिए भी यह समझना संभव नहीं होगा कि यह नकली है या असली।

जस्टिस डॉक्टर ने कहा,

"मुझे ध्यान देना चाहिए कि इनमें से कई मामलों में जो बात वास्तव में चिंताजनक है, वह है AI का उपयोग करके बनाई जा रही Deepfake तस्वीरों/वीडियो की वास्तविक प्रकृति। तस्वीरों और वीडियो, दोनों के संदर्भ में, मॉर्फिंग इतनी परिष्कृत और भ्रामक है कि यह पहचानना लगभग असंभव है कि ये वादी (अक्षय कुमार) की असली तस्वीरें/वीडियो नहीं हैं।"

जज ने कुमार के इस तर्क पर गौर किया कि महर्षि वाल्मीकि के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणियों वाले उनके कुछ Deepfake वीडियो मौजूद हैं।

जज ने ज़ोर देकर कहा,

"वादी द्वारा सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ बयान और ऋषि वाल्मीकि के बारे में दिए गए बयानों का Deepfake वीडियो बेहद चिंताजनक है। इस तरह की सामग्री के प्रसार से होने वाले परिणाम वास्तव में अत्यंत गंभीर और संगीन हैं। वादी के व्यक्तित्व और नैतिक अधिकारों का उल्लंघन और उन पर प्रभाव डालने के अलावा, ऐसे वीडियो वादी के परिवार के सदस्यों की सुरक्षा और कल्याण के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करते हैं और समाज तथा सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल और व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं, जो स्पष्ट रूप से ऐसी सामग्री बनाने वालों का एजेंडा प्रतीत होता है।"

इसलिए जज ने कहा कि न केवल वादी के हित में, बल्कि व्यापक जनहित में भी ऐसी सामग्री को तुरंत सार्वजनिक डोमेन से हटा दिया जाना चाहिए।

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