बॉम्बे हाईकोर्ट ने POSH मामले में सुनवाई से इनकार करने पर ICC रिपोर्ट को चुनौती देने वाली अकासा एयर के पायलट की रिट याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि POSH Act के तहत कार्यवाही में गवाहों से क्रॉस एक्जामिनेशन करने का अवसर न मिलने मात्र से जांच स्वतः ही दोषपूर्ण नहीं हो जाती, खासकर जहां मूल तथ्य स्वीकार कर लिए गए हों और कोई पूर्वाग्रह प्रदर्शित न हुआ हो। कोर्ट ने कहा कि आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के समक्ष कार्यवाही तथ्यान्वेषण प्रकृति की होती है। साक्ष्य संबंधी सख्त नियमों से बंधी नहीं होती।
जस्टिस एन.जे. जमादार अकासा एयर में कैप्टन के रूप में कार्यरत पायलट द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें ICC की अंतिम रिपोर्ट को चुनौती दी गई, जिसमें याचिकाकर्ता के लिए कुछ सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि गवाहों से क्रॉस एक्जामिनेशन से इनकार और व्यक्तिगत सुनवाई के अभाव के कारण आईसीसी के निष्कर्ष दोषपूर्ण थे, इसलिए उन्होंने रिपोर्ट रद्द करने की मांग की। प्रतिवादी एयरलाइन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पास POSH Act की धारा 18 के तहत अपील का एक प्रभावी वैधानिक उपाय है।
कोर्ट ने कहा कि सामान्यतः, वैधानिक उपाय के अस्तित्व के नियम का पालन किया जाना आवश्यक है, जिन मामलों में वैधानिक अपील का प्रावधान है, वहां रिट कोर्ट पूर्ण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने में धीमा होगा और अपीलीय मंच को दरकिनार कर देगा।
कोर्ट ने कहा कि धारा 11 की उप-धारा (1) के दूसरे प्रावधान में यह प्रावधान है कि पक्षकारों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा और निष्कर्ष की एक प्रति दोनों पक्षों को उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वे अपना पक्ष रख सकें। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिकायत समिति प्रक्रिया और साक्ष्य के सख्त नियमों से बंधी नहीं है।
कोर्ट ने टिप्पणी की:
“यह अनिवार्य नहीं है कि हर मामले में पीड़ित व्यक्ति को मौखिक सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए। इस मामले में यह दर्शाने के लिए सामग्री मौजूद है कि याचिकाकर्ता को प्रारंभिक निष्कर्ष दिए गए और उन प्रारंभिक निष्कर्षों के विरुद्ध अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया।”
कोर्ट ने आगे कहा कि जहां मूल तथ्य विवादित नहीं हैं, वहां क्रॉस एक्जामिनेशन का न होना अनिवार्य रूप से संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप की मांग करने वाले पूर्वाग्रह के बराबर नहीं है। इसने माना कि इस मामले के मूल तथ्य विवादित नहीं थे और गवाहों से क्रॉस एक्जामिनेशन करने का अवसर न देने से याचिकाकर्ता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा, जिससे रिट अधिकारिता के प्रयोग में जांच को रद्द कर दिया जाए।
कोर्ट ने कहा,
“जहां मूल तथ्यों पर कोई विवाद नहीं था, वहां क्रॉस एक्जामिनेशन के औपचारिक अवसर का अभाव निर्णय को प्रभावित नहीं कर सकता।”
अतः, कोर्ट ने माना कि अपील के वैधानिक उपाय की उपलब्धता के बावजूद, मामले के तथ्य ऐसे नहीं हैं, जो रिट अधिकारिता के प्रयोग की मांग करें।
तदनुसार, कोर्ट ने रिट याचिका खारिज की तथा स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता चार सप्ताह के भीतर POSH Act की धारा 18 के तहत अपील दायर करने का विकल्प चुनता है तो रिट याचिका को आगे बढ़ाने में खर्च की गई अवधि को सीमा की गणना के उद्देश्य से बाहर रखा जा सकता है।
Case Title: ABC v. Internal Complaints Committee, Akasa Air & Ors., [WRIT PETITION (ST) NO. 15574 OF 2025]