बॉम्बे हाईकोर्ट ने UAPA और राजद्रोह के अपराध की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124ए (राजद्रोह) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने आज अपना फैसला सुनाते हुए कहा,
"UAPA अपने वर्तमान स्वरूप में संवैधानिक रूप से वैध है... चुनौती विफल।"
जजों के समक्ष अनिल बाबूरा बेले नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका विचाराधीन थी, जिन्हें 10 जुलाई, 2020 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एल्गार परिषद मामले के संबंध में नोटिस जारी किया था।
उन्होंने तर्क दिया कि UAPA और धारा 124ए के प्रावधान असंवैधानिक हैं।
बेले की ओर से पेश हुए वकील प्रकाश अंबेडकर ने हितेंद्र गांधी की सहायता से दावा किया कि UAPA ने कार्यपालिका को किसी संगठन या व्यक्ति और उनकी गतिविधि को कानून में परिभाषित किए बिना गैरकानूनी घोषित करने की "अनियंत्रित शक्ति" प्रदान की है।