बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध एडमिशन देने वाले विभिन्न नर्सिंग कॉलेजों के प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के कई नर्सिंग कॉलेजों के खिलाफ सहायक नर्स मिडवाइफरी (ANM) और सामान्य नर्सिंग एवं मिडवाइफरी (GNM) पाठ्यक्रमों में निर्धारित आवश्यकताओं का उल्लंघन करते हुए अयोग्य स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के लिए कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने प्रबंधन को स्टूडेंट्स से ली गई पूरी फीस वापस करने और उन्हें हुए शैक्षणिक नुकसान के लिए प्रत्येक को ₹1 लाख का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
जस्टिस रवींद्र वी. घुगे और जस्टिस अश्विन डी. भोबे की खंडपीठ उन स्टूडेंट द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनके ANM/GNM कोर्ट के फर्स्ट ईयर में एडमिशन भारतीय नर्सिंग परिषद (INC) द्वारा रद्द कर दिए गए, क्योंकि सत्यापन में पता चला कि उनके पास अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता नहीं है। कॉलेजों ने इन स्टूडेंट्स को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के दौरान एडमिशन दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उन्हें 12वीं कक्षा की व्यावसायिक स्ट्रीम की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एडमिशन दिया गया और उनके एडमिशन रद्द होने से पहले उन्हें सात महीने से अधिक समय तक कक्षाओं में उपस्थित रहने की अनुमति दी गई। उन्होंने तर्क दिया कि समान योग्यता वाले एडमिशन के पिछले बैचों को कोर्स पूरा करने की अनुमति दी गई और उन्हें चुनिंदा रूप से दंडित नहीं किया जाना चाहिए।
हालांकि, कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता अपने व्यावसायिक विषयों में एडमिशन के लिए अयोग्य थे। खंडपीठ ने कहा कि 90 स्टूडेंट्स को अवैध रूप से एडमिशन दिया गया, जिनमें से 68 ने स्वेच्छा से पाठ्यक्रम छोड़ दिया, जबकि 22 ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसने कहा कि यद्यपि याचिकाकर्ता स्वीकार करते हैं कि वे अपेक्षित योग्यता पूरी नहीं करते हैं। फिर भी वे उन सीनियर स्टूडेंट्स के साथ नकारात्मक समानता की मांग कर रहे हैं, जिनके एडमिशन भी अवैध हैं।
अदालत ने कहा,
"इन मामलों में ख़ासियत यह है कि याचिकाकर्ता भी स्वीकार करते हैं कि वे अपेक्षित योग्यताएं पूरी नहीं करते। उनका तर्क है कि कॉलेज प्रबंधन ने उनसे 60,000 रुपये प्रति स्टूडेंट फीस लेकर उन्हें एडमिशन दिया। वे कुछ ऐसे स्टूडेंट्स के साथ नकारात्मक समानता चाहते हैं, जिनके एडमिशन भी अवैध हैं और जो वर्तमान में दूसरे और तीसरे वर्ष में हैं।"
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के तर्कों को स्वीकार करना उन लोगों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने अवैध एडमिशन के कारण अपना प्रवेश खो दिया है।
अदालत ने कहा:
"यह उन लोगों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने ऐसे अवैध एडमिशन के कारण अपना एडमिशन खो दिया... याचिकाकर्ताओं के अवैध एडमिशन को देखते हुए, जो ऐसे 90 रद्द किए गए एडमिशन में से हैं, प्रथम वर्ष के पहले सेमेस्टर में, याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कोई समानता नहीं बनाई गई है।"
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के एडमिशन रद्द करने का आदेश दिया और सक्षम प्राधिकारियों को कॉलेजों के प्रबंधन के विरुद्ध कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया, जिसमें पिछले पांच वर्षों के एडमिशन की जांच भी शामिल है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रबंधन स्टूडेंट्स से ली गई पूरी फीस वापस करें और 45 दिनों के भीतर प्रत्येक स्टूडेंट को ₹1,00,000 का मुआवज़ा दें।
Case Title: Nandini Prakash Ingawale & Anr. v. The State of Maharashtra & Ors. [Writ Petition No. 5697 of 2025, along with connected petitions]