अग्रिम जमानत के लिए फोरम संबंधित प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगे हनी बाबू: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगें कि उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट जाना चाहिए या विशेष कोर्ट।
यह घटनाक्रम तब हुआ जब जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस कमल खता की बेंच ने बाबू की अपील पर सुनवाई शुरू की। अपनी इस अपील में उन्होंने फरवरी, 2022 में स्पेशल NIA कोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष स्पेशल कोर्ट के आदेश के खिलाफ बाबू की प्रारंभिक अपील खारिज कर दी गई और 19 सितंबर, 2022 को पारित आदेश द्वारा उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन 3 मई, 2024 को परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए इसे वापस ले लिया।
परिस्थितियों में यह बदलाव इस प्रकार था कि मामले के आठ आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। बाबू के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में नए सिरे से जमानत मांगने की छूट दी है। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नए सिरे से जमानत मांगने की छूट दी है तो उन्हें हाई कोर्ट नहीं बल्कि स्पेशल कोर्ट में जाना चाहिए।
हालांकि, बाबू का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ. युग चौधरी ने आपत्ति का विरोध किया। उन्होंने कहा कि वह फिलहाल योग्यता के आधार पर अपनी दलीलें छोड़ने के लिए तैयार हैं और केवल देरी के बिंदु पर बहस करेंगे, क्योंकि उनका मुवक्किल 4 साल 9 महीने से सलाखों के पीछे है।
चौधरी ने जजों से कहा,
"यह एक संवैधानिक अदालत है और देरी के बिंदु पर जमानत के लिए मेरी याचिका पर सुनवाई करने से इसे कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि मेरे जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।"
हालांकि, जजों ने भी प्रथम दृष्टया राय दी कि सुप्रीम कोर्ट (3 मई, 2024 के अपने आदेश द्वारा) बाबू को हाईकोर्ट में अपील दायर करने की कोई छूट नहीं दी गई। इसलिए उन्होंने बाबू को सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा और सुनवाई स्थगित कर दी।
बता दें कि प्रोफेसर बाबू को 28 जुलाई, 2020 को भीमा कोरेगांव-एलगर परिषद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था और तब से वे जेल में हैं। उन पर रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (RDF) और CPI (माओवादी) के साथ 'गहरी संलिप्तता' का आरोप है। उन पर वामपंथी पुस्तक "सीक्रेसी हैंडबुक" का अनुसरण करने का भी आरोप है, जो कथित तौर पर बाबू से बरामद की गई थी। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि "यदि एक कॉमरेड को गिरफ्तार किया जाता है तो अन्य कॉमरेडों को कानूनी प्रतिनिधित्व, प्रचार और विरोध प्रदर्शन आयोजित करके मदद करने के लिए सब कुछ करना चाहिए।"
यह विशेष रूप से सहकर्मी प्रोफेसर जीएन साईबाबा की मदद करने में बाबू की भूमिका के संबंध में है, जिनका नाम भी मामले में था।