एल्गर परिषद मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, सुधीर धावड़े और रोना विल्सन की डिफ़ॉल्ट जमानत खारिज की

Update: 2024-07-26 11:17 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज 2018 के कुख्यात एल्गर परिषद मामले में दलित अधिकार कार्यकर्ता और वकील सुरेंद्र गाडलिंग और सह-आरोपी महेश राउत की डिफ़ॉल्ट जमानत खारिज की।

जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की खंडपीठ ने अपने चैंबर में यह आदेश सुनाया। नागपुर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर शोमा सेन, सुधीर धावड़े और शोधकर्ता रोना विल्सन को भी जमानत देने से इनकार किया गया।

खंडपीठ ने मई 2024 में आदेश के लिए मामले को बंद कर दिया था।

इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए गडलिंग की ओर से पेश हुए एडवोकेट आर सत्यनारायणन अय्यर ने कहा,

"खंडपीठ ने डिफ़ॉल्ट जमानत की मांग करने वाली अर्जी खारिज की।"

उन्होंने कहा कि अदालत ने केवल ऑपरेटिव भाग पढ़ा, क्योंकि आदेश बहुत बड़ा है।

विशेष रूप से गडलिंग को इससे पहले दिसंबर 2021 में डिफ़ॉल्ट जमानत देने से मना किया गया, जब जस्टिस संभाजी शिंदे की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की पीठ ने सह-आरोपी सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट जमानत दी थी और गडलिंग सहित 8 अन्य को जमानत देने से इनकार किया था। मौजूदा कार्यवाही में गडलिंग ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई के लिए नामित एक विशेष अदालत के 28 जून, 2022 के आदेश को चुनौती दी, जिसने उनकी डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका खारिज कर दी।

अपने आवेदन में गडलिंग ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि पुलिस ने अपनी चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुणे की विशेष अदालत से और समय मांगा। नागपुर में प्रैक्टिस करने वाले वकील ने अपनी दलील में आगे बताया कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगने वाली अर्जी सितंबर 2018 में दायर की गई थी और एनआईए को इसके लिए 90 दिन और मिले थे।

याचिका में कहा गया कि पहली चार्जशीट नवंबर 2018 में दायर की गई, जो 90 दिनों की अवधि का उल्लंघन था और फरवरी 2019 में एक अतिरिक्त चार्जशीट दायर की गई।

चार्जशीट दाखिल करने के लिए दिए गए समय का विस्तार गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों का उल्लंघन था।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (SSG) देवांग व्यास के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वर्तमान याचिका में दिए गए अधिकांश आधारों पर विचार किया गया और जस्टिस शिंदे की खंडपीठ ने दिसंबर 2021 में गडलिंग को जमानत देने से इनकार कर दिया।

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