पदोन्नति के लिए सीनियोरिटी फीडर श्रेणी में पदोन्नति की तिथि से निर्धारित होती है, प्रारंभिक नियुक्ति की तिथि से नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2025-02-01 05:57 GMT
पदोन्नति के लिए सीनियोरिटी फीडर श्रेणी में पदोन्नति की तिथि से निर्धारित होती है, प्रारंभिक नियुक्ति की तिथि से नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्बा रेड्डी सत्ती की एकल पीठ ने माना कि उप निरीक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए सीनियर फीडर श्रेणी (हेड कांस्टेबल/ASI) में पदोन्नति की तिथि से निर्धारित होती है, पुलिस कांस्टेबल के रूप में प्रारंभिक नियुक्ति की तिथि से नहीं।

पूरा मामला

याचिकाकर्ता SPSR नेल्लोर जिले में हेड कांस्टेबल (HC) और सहायक उप निरीक्षक (ASI) के रूप में कार्यरत थे। उन्हें वर्ष 1989 में पुलिस अधीक्षक, नेल्लोर के कार्यालय में पुलिस कांस्टेबल (सिविल) के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 22.06.2012 को हेड कांस्टेबल के रूप में पदोन्नत किया गया था। अगली पदोन्नति पुलिस उप निरीक्षक (SI) के पद पर हुई।

प्रतिवादी ने सभी पुलिस अधीक्षकों को एक फैक्स/रेडियो संदेश जारी किया। संदेश में 58 ASI/डब्ल्यूएएसआई के चयन का निर्देश दिया गया, जिससे वे SI के पद पर पदोन्नति के लिए पूर्व-पदोन्नति प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग ले सकें। पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती के अनुसार याचिकाकर्ता सीनियर थे लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। पुलिस कांस्टेबल के रूप में उनके बाद भर्ती किए गए जूनियर को पदोन्नति के लिए पहचाना गया।

इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं ने रिट याचिका दायर की।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि चयन अनंतिम वरिष्ठता सूची तैयार किए बिना आपत्तियां मांगे बिना और अंतिम वरिष्ठता सूची प्रकाशित किए बिना किया गया। याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया कि प्रतिवादी की कार्रवाई अवैध, मनमानी थी। आंध्र प्रदेश राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम, 1996 के नियम 34 का उल्लंघन करती थी।

याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी आंध्र प्रदेश पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम (APPSS) के नियम 2(b) (ii) और 15 का पालन करने में विफल रहा। उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि वर्ग में किसी व्यक्ति की वरिष्ठता उस वर्ग में उसकी पहली नियुक्ति की तिथि के अनुसार निर्धारित की जाएगी। याचिकाकर्ताओं को वर्ष 1989 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती किया गया, जबकि प्रतिवादी द्वारा पहचाने गए व्यक्तियों को वर्ष 1992 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती किया गया।

प्रतिवादी ने एपीपीएसएस नियमों के नियम 15 (ए) के अनुसार सीनियोरिटी की गणना नहीं की है।

दूसरी ओर, प्रतिवादियों द्वारा यह तर्क दिया गया कि SI में पदोन्नति के लिए पूर्व-पदोन्नति प्रशिक्षण से गुजरने के लिए विभागीय योग्यता परीक्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन जूनियर एचसी और ASI (सिविल) को इस परीक्षा की सूची में शामिल नहीं किया गया। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि पुलिस कांस्टेबल (सिविल) के रूप में भर्ती की तारीख पदोन्नति के लिए चयन का मानदंड नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि हालांकि याचिकाकर्ताओं को वर्ष 1989 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती/नियुक्त किया गया, लेकिन जिन व्यक्तियों के नाम संभावित सूची में उल्लिखित थे, उन्हें याचिकाकर्ताओं से पहले हेड कांस्टेबल के रूप में पदोन्नत किया गया।

न्यायालय के निष्कर्ष और अवलोकन

न्यायालय ने पाया कि APPSS नियमों के नियम 15 (ए) में कहा गया कि वर्ग में किसी व्यक्ति की वरिष्ठता उस वर्ग में उसकी पहली नियुक्ति की तिथि से निर्धारित की जाएगी। इसलिए याचिकाकर्ताओं का यह तर्क कि उन्हें 1989 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया। इसलिए उनकी वरिष्ठता की गणना वर्ग में 1989 से की जानी चाहिए, में कोई दम नहीं है।

न्यायालय ने आगे यह भी पाया कि हेड कांस्टेबल/ASI पुलिस उपनिरीक्षक के पद के लिए फीडर श्रेणी है। ऐसे वर्ग या श्रेणी या ग्रेड में पहली नियुक्ति शब्दों का अर्थ है कि उस श्रेणी में काम करने वाले कर्मचारी अगली श्रेणी के पद पर पदोन्नत होने के पात्र हैं।

न्यायालय ने गंगा विशन गुजराती बनाम राजस्थान राज्य के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना कि समान ग्रेड के सदस्यों के बीच सीनियोरिटी की गणना ग्रेड में प्रारंभिक प्रवेश की तिथि से की जानी चाहिए।

इसके अलावा बिहार राज्य बनाम अखौरी सचिंद्र नाथ के मामले पर न्यायालय ने भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना कि किसी कर्मचारी को उस तिथि से पूर्वव्यापी वरिष्ठता नहीं दी जा सकती, जब वह कैडर में था ही नहीं। समान ग्रेड के सदस्यों के बीच वरिष्ठता की गणना ग्रेड में उनके प्रारंभिक प्रवेश की तिथि से की जानी चाहिए।

न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ताओं को वर्ष 1989 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में भर्ती किया गया। हालांकि पदोन्नति के लिए पहचाने गए अन्य उम्मीदवारों को, हालांकि वर्ष 1992 में नियुक्त किया गया, याचिकाकर्ताओं से पहले हेड कांस्टेबल के रूप में पदोन्नत किया गया। इसलिए हेड कांस्टेबल/ASI की सामान्य एकीकृत सूची तैयार की गई। सबसे वरिष्ठ हेड कांस्टेबल/ASI 70 व्यक्तियों को विभागीय योग्यता परीक्षा में शामिल होने के लिए बुलाया गया।

न्यायालय ने माना कि प्रतिवादी प्राधिकारी ने APPSS नियमों के नियम 2 और 15 का पालन किया। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

केस टाइटल: टी. वेंकटेश्वरलू और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य

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