राहुल गांधी की नागरिकता की CBI जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर

Update: 2024-09-12 11:15 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई। उक्त याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को भारतीय न्याय संहिता (BNS) के प्रावधानों के तहत कांग्रेस (Congress) नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ नियमित मामला (RC) दर्ज करने और उनकी कथित ब्रिटिश नागरिकता की विस्तृत जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई।

याचिका में रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद के रूप में गांधी के चुनाव को इस आधार पर रद्द करने की भी मांग की गई कि वह भारतीय हनीं, ब्रिटिश नागरिक हैं। इस तरह वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं।

जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि गांधी ने जिस दिन ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त की, उसी दिन से वे भारत के नागरिक नहीं रहे। यदि उन्होंने 2003/2006 के बाद भारतीय नागरिकता प्राप्त की तो उन्हें अपने नामांकन पत्र के साथ इसे दाखिल करना चाहिए था। इसमें कहा गया कि ब्रिटिश नागरिक के रूप में वे भारत के संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) में निहित प्रावधानों के अनुसार संसद सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए अयोग्य हैं।

यह याचिका BJP कर्नाटक के सदस्य एस. विग्नेश द्वारा दायर की गई, जिन्होंने दावा किया कि उन्हें कनाडा के नागरिक वीएसएस सरमा से गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के संबंध में यूके सरकार द्वारा (सरमा को भेजे गए) आधिकारिक संचार के बारे में कुछ जानकारी मिली है।

बता दें कि यह याचिका उसी विषय के बारे में उसी याचिकाकर्ता द्वारा दायर जनहित याचिका के लगभग दो महीने बाद दायर की गई है, जिसे हाईकोर्ट द्वारा वापस लिए जाने के रूप में खारिज कर दिया गया था।

1 जुलाई, 2024 के अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता को नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत इस मुद्दे के संबंध में सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता होगी, जहां तक ​​कानून में इसकी अनुमति है। अपनी वर्तमान जनहित याचिका में याचिकाकर्ता विग्नेश का दावा है कि उनकी पिछली जनहित याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के समक्ष एक विस्तृत प्रतिनिधित्व किया जो अभी भी लंबित है।

इसमें यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता ने इस मुद्दे पर विस्तृत पूछताछ की कई नए इनपुट प्राप्त किए और गांधी के नागरिकता रिकॉर्ड के बारे में विवरण मांगने के लिए यूके सरकार को ईमेल भेजे। इस प्रक्रिया में याचिका में आगे कहा गया है कि उन्हें पता चला कि यू.के. सरकार को पहले ही वीएसएस सरमा (प्रतिवादी नंबर 14) से 2022 में विवरण मांगने का अनुरोध प्राप्त हो चुका है। उसके बाद उन्होंने (PIL याचिकाकर्ता-विग्नेश) सरमा से संपर्क किया, जो यू.के. सरकार से प्राप्त गोपनीय ईमेल साझा करने के लिए सहमत हुए।

याचिका में आरोप लगाया गया कि उन 'गोपनीय' ईमेल (2022 के) में यू.के. सरकार ने संकेत दिया कि उसके पास राहुल गांधी की ब्रिटिश राष्ट्रीयता के रिकॉर्ड हैं। इस तरह के व्यक्तिगत डेटा देश के डेटा संरक्षण अधिनियम 2018 के अनुसार यू.के. जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन द्वारा शासित हैं। हालांकि याचिका में कहा गया कि कथित मेल में आगे कहा गया कि सरकार गांधी के बारे में तब तक जानकारी नहीं दे सकती, जब तक कि यू.के. सरकार को गांधी से हस्ताक्षरित अधिकार पत्र नहीं मिल जाता।

इस पृष्ठभूमि के खिलाफ याचिका में दावा किया गया कि यू.के. सरकार का कथित मेल एक सीधा स्वीकारोक्ति है कि गांधी यूनाइटेड किंगडम के नागरिक हैं।

इसलिए जनहित याचिका में अनुरोध किया गया कि CBI मामले की विस्तृत जांच करे भारत में किसी सक्षम न्यायालय से अनुरोध पत्र प्राप्त करे और गांधी की नागरिकता के संबंध में ब्रिटेन की सरकार के पास उपलब्ध सभी सरकारी रिकॉर्ड और जानकारी निकाले। याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त, मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश और रिटर्निंग अधिकारी रायबरेली को गांधी का निर्वाचन प्रमाण पत्र रद्द करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया।

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

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