पक्षकार ने 6 साल तक वकील से संपर्क नहीं किया, इस आधार पर देरी के लिए माफ़ी की मांग नहीं कर सकता कि वकील ने मामले के निपटारे के बारे में सूचित नहीं किया: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2024-05-03 06:17 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विशेष अपील खारिज कर दी। उक्त अपील एकल जज द्वारा 6 साल की देरी के लिए रिट याचिका खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी।

याचिकाकर्ताओं ने यूपी भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 219 के तहत पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे 2016 में पुनर्विचार प्राधिकारी द्वारा एकपक्षीय आदेश के माध्यम से खारिज कर दिया गया। इसके बाद 2022 में याचिकाकर्ताओं ने विलंब माफी आवेदन के साथ एकपक्षीय आदेश के खिलाफ रिकॉल आवेदन दायर किया। विलंब माफी आवेदन में आरोप लगाया गया कि वकील ने उन्हें केस खारिज करने की जानकारी नहीं दी।

चूंकि, विलंब माफी आवेदन में कारण अपर्याप्त एवं उचित नहीं पाये गये, अत: रिकॉल आवेदन अस्वीकार कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की। उसे भी खारिज कर दिया गया, क्योंकि अधिकारियों से संपर्क करने में 6 साल की देरी को पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं किया गया था।

चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने पाया कि अपील दायर करने में देरी हुई, जबकि रिट याचिका भी देरी के आधार पर खारिज कर दी गई। अदालत ने पाया कि हालांकि वकील के खिलाफ आरोप लगाए गए, लेकिन यह कहते हुए कोई दावा नहीं किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा वकील से मामले का विवरण मांगने के लिए कोई प्रयास किया गया और वकील ने ऐसी जानकारी से इनकार किया था।

कोर्ट ने कहा,

"वह पक्ष, जिसने छह साल तक वकील से संपर्क नहीं किया, वह इस आरोप के आधार पर देरी की माफ़ी नहीं मांग सकता कि वकील ने मामले के निपटारे के बारे में सूचित नहीं किया।"

तदनुसार, विशेष अपील खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: जगदीश और 4 अन्य बनाम यूपी राज्य और 4 अन्य 2024 लाइव लॉ (एबी) 281 [विशेष अपील दोषपूर्ण नंबर- 355/2024]

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