मानव शर्मा आत्महत्या | 'FIR से प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का पता चलता है': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ससुराल वालों को राहत देने से किया इनकार

25 वर्षीय टीसीएस मैनेजर मानव शर्मा की आत्महत्या के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को आगरा में उनके ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया।
जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज FIR में प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ, इसलिए उनकी रिट याचिका खारिज कर दी। हालांकि, खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को कानून के तहत और कानून के अनुसार अग्रिम जमानत/जमानत के लिए सक्षम न्यायालय में आवेदन करने की अनुमति दी।
शर्मा के ससुर (निपेंद्र कुमार शर्मा), सास (पूनम शर्मा) और दो ननदों ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 के तहत FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उन्हें फंसाया गया।
उनका यह भी कहना था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद असंभाव्य और अविश्वसनीय हैं; ऐसे में FIR रद्द की जानी चाहिए।
दूसरी ओर, एजीए ने FIR रद्द करने की प्रार्थना का विरोध किया।
शर्मा ने पिछले महीने आत्महत्या कर ली थी, उन्होंने वैवाहिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था। खुद को फांसी लगाने से पहले उन्होंने 6+ मिनट का वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी को इस स्थिति तक धकेलने के लिए दोषी ठहराया। कुछ ही समय बाद शर्मा की पत्नी का एक बिना तारीख वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके पति शराब पीने के बाद आक्रामक हो जाते थे।
केस टाइटल- निपेंद्र कुमार शर्मा और 3 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य 2025 लाइव लॉ (एबी) 87