पति की हत्या के आरोप में महिला को मिली जमानत: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों की परित्यक्त स्थिति का लिया संज्ञान

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला को जमानत दी, जिस पर अपनी मां और कथित प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या करने का आरोप है। कोर्ट ने महिला के नाबालिग बच्चों की परित्यक्त अवस्था को ध्यान में रखते हुए उसे जमानत दी।
जस्टिस राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने आरोपिता खुशबू देवी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 480 के तहत राहत देते हुए जमानत मंजूर की। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिला के पति की मृत्यु हो चुकी है वह स्वयं जेल में है और परिवार में बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, जिससे वे परित्यक्त स्थिति में हैं।
कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि खुशबू देवी का नाम प्राथमिकी (FIR) में सीधे तौर पर अभियुक्त के रूप में नहीं है। घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य या अंतिम बार देखे जाने का प्रमाण मौजूद नहीं है और मृतक पति के साथ उसके संबंध भी सामान्य बताए गए हैं।
FIR के अनुसार खुशबू देवी पर आरोप है कि वह मृतक प्रेम कुमार से विवाह करने से पहले से ही सह-आरोपी सुषिल यादव के साथ अवैध संबंध में थी।
अभियोजन के अनुसार देवी और उसकी मां ने साजिश रचकर पति की हत्या की ताकि वह पति की संपत्ति पर अधिकार कर सके। आरोप है कि हत्या के बाद शव को कुएं में फेंक दिया गया।
आरोपिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 103(2), 238(b), 3(5) और 61(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
खुशबू देवी के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि अभियोजन की पूरी कहानी झूठी और गलत है। उन्होंने कहा कि खुशबू देवी को केवल सह-आरोपी सुषिल यादव के कबूलनामे के आधार पर फंसाया गया। वकील ने यह भी कहा कि घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है, न ही कोई ऐसा साक्ष्य है जिससे साबित हो कि हत्या के समय खुशबू देवी घटनास्थल पर मौजूद थी। साथ ही पति-पत्नी के बीच किसी तरह का विवाद पहले कभी दर्ज नहीं हुआ था।
अंततः वकील ने यह भी तर्क दिया कि खुशबू देवी के नाबालिग बच्चे बिना किसी संरक्षक के परित्यक्त अवस्था में हैं। अतः मानवीय आधार पर जमानत दी जाए।
कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा,
"आवेदिका का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। आवेदिका की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि वह जमानत का दुरुपयोग नहीं करेगी तथा ट्रायल में सहयोग करेगी। ऐसे में आवेदिका को जमानत का लाभ दिया जाना उचित है।"
कोर्ट ने बच्चों की दयनीय स्थिति को प्राथमिक आधार बनाते हुए खुशबू देवी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
केस टाइटल: खुशबू देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, प्रमुख सचिव (गृह विभाग), उत्तर प्रदेश, लखनऊ