ट्रैफिक जाम के कारण परीक्षा केंद्र देर से पहुंचने पर दोबारा परीक्षा की मांग नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने JEE (Main) उम्मीदवारों की याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में JEE (Main) 2025 के उन परीक्षार्थियों की याचिका खारिज की, जिन्होंने मुख्यमंत्री के काफिले के कारण हुए ट्रैफिक जाम की वजह से परीक्षा केंद्र देर से पहुंचने पर दोबारा परीक्षा की मांग की थी।
जस्टिस जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने स्टूडेंट के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि यह मामला ऐसा नहीं है, जिसमें रिट ऑफ़ मैंडमस (Mandamus) जारी किया जा सके, क्योंकि यह किसी कानूनी अधिकार के हनन से जुड़ा नहीं है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
"इस मामले में याचिकाकर्ताओं को परीक्षा देने का वैधानिक अधिकार अवश्य है, पर यह अधिकार परीक्षण एजेंसी द्वारा जारी निर्देशों के अधीन है। यदि यातायात जाम के कारण देरी से परीक्षा केंद्र पहुंचने के चलते परीक्षा नहीं दे पाए तो वे दोबारा परीक्षा की मांग नहीं कर सकते न ही एजेंसी (NTA) पर कोई कानूनी दायित्व बनता है कि वह फिर से परीक्षा आयोजित करे।"
याचिकाकर्ताओं का पक्ष:
उन्होंने कहा कि उनकी परीक्षा 2 अप्रैल को दूसरी शिफ्ट (3:00 PM से 6:00 PM) में थी। लेकिन 1:30 बजे मुख्यमंत्री के काफिले के गुजरने के कारण ट्रैफिक 30 मिनट तक रोका गया, जिससे जाम लग गया। इसके चलते वे परीक्षा केंद्र 2:30 बजे (गेट बंद होने का समय) से पांच मिनट देर (2:35 बजे) पहुंचे और केंद्र में प्रवेश नहीं मिल सका।
उन्होंने कॉलेज प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन प्रवेश नहीं मिला। बाद में उन्होंने NTA से संपर्क किया लेकिन वहां से भी पुनः परीक्षा की अनुमति नहीं मिली।
याचिका में अनुरोध किया गया कि चूंकि परीक्षा कई दिनों में हो रही थी, इसलिए उन्हें 4 अप्रैल से 8 अप्रैल 2025 के बीच किसी भी दिन परीक्षा देने की अनुमति दी जाए।
NTA का पक्ष:
डिप्टी सॉलिसिटर जनरल शशांक भसीन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि JEE के लिए स्पष्ट निर्देश हैं कि उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से दो घंटे पहले केंद्र पहुंचना अनिवार्य है। किसी भी कारणवश जैसे ट्रैफिक, ट्रेन या बस लेट होने पर अगर कोई देरी से पहुंचता है तो पुनः परीक्षा की मांग नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि JEE उम्मीदवारों को समय पर पहुंचने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए। ट्रैफिक जैसी परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाकर तैयार रहना चाहिए।
इस प्रकार, कोर्ट ने कहा कि NTA पर दोबारा परीक्षा लेने का कोई कानूनी दायित्व नहीं बनता और याचिका में कोई न्यायिक हस्तक्षेप योग्य आधार नहीं है। इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: रिदा फातिमा खान व अन्य बनाम भारत संघ (उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय) व अन्य