इलाहाबाद हाइकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को जमानत दी

Update: 2024-05-06 08:48 GMT

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने हाल ही में स्टूडेंट (आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी) को जमानत दी, जिसने मुकदमे के निष्कर्ष के बिना 6 साल से अधिक समय हिरासत में बिताया। न्यायालय ने मुकदमे के जल्दी निष्कर्ष में असहयोग करने के लिए राज्य पुलिस उप-निरीक्षक की भी आलोचना की।

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने ट्रायल जज को 31 अगस्त 2024 तक मुकदमे का निष्कर्ष निकालने का निर्देश दिया कहा पीठासीन अधिकारी के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाएगा।

न्यायालय मुख्य रूप से अनिकेत दीक्षित (आरोपी) की दूसरी जमानत याचिका पर विचार कर रहा था, जिस पर 2018 में कानपुर नगर पुलिस ने आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया और वह 4 अप्रैल 2018 से जेल में बंद है।

आरोपी के वकील ने पीठ को बताया कि न्यायालय ने सितंबर 2018 में उसकी पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी तथा निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह मुकदमे की सुनवाई तेज करे और डेढ़ साल के भीतर इसे समाप्त करे। हालांकि मुकदमे में बहुत कम प्रगति हुई, जिसके कारण आरोपी को छह साल तक हिरासत में रहना पड़ा।

आरोपी के वकील ने यह भी कहा कि बाकी सह-आरोपी व्यक्ति, जो या तो इसी तरह की स्थिति में हैं, या उक्त उकसावे के वास्तविक लेखक हैं, उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। आवेदक जो स्टूडेंट है और अपने जीवन के प्रारंभिक दौर में है, पिछले 6-7 वर्षों से जेल में है जो अत्यधिक अन्यायपूर्ण है।

इस दलील की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने शुरू में ही टिप्पणी की कि वह डेढ़ साल की अवधि के भीतर मुकदमे को समाप्त करने के हाइकोर्ट के "ईमानदार अनुरोध" की "पूरी तरह से और जानबूझकर अवहेलना" देखकर वास्तव में स्तब्ध है।

ट्रायल कोर्ट के आदेश पत्र का अवलोकन करते हुए न्यायालय ने पाया कि ट्रायल जज ने हाजिरी माफ़ी के विभिन्न आवेदनों को उदारतापूर्वक स्वीकार किया तथा मामले में केवल पांच गवाहों की जांच की गई।

न्यायालय ने यह भी पाया कि नवंबर 2019 से मई 2023 तीन वर्ष और दस महीने के बीच केवल दो गवाहों की जांच की गई।

न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के गवाहों में से उप-निरीक्षक विनोद कुमार मिश्रा के असहयोग को अस्वीकार्य और निंदनीय आचरण भी कहा।

न्यायालय ने कहा कि न्यायालय दंड प्रक्रिया की योजना के तहत उपलब्ध सभी बलपूर्वक तरीकों का उपयोग करके अभियोजन पक्ष के गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने में असमर्थ नहीं हैं।

इसे देखते हुए न्यायालय ने अभियुक्त को जमानत दे दी तथा ट्रायल कोर्ट को किसी भी पक्ष या उनके गवाहों को कोई स्थगन दिए बिना प्रतिदिन आधार पर सुनवाई करके 31 अगस्त तक मामले को समाप्त करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल - अनिकेत दीक्षित बनाम उत्तर प्रदेश राज्य लाइव लॉ (एबी) 285/2024

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