ग्रेच्युटी का हक रिटायरमेंट की उम्र पर नहीं, बल्कि सेवा के वर्षों की नंबर पर निर्भर करता है: इलाहाबाद हाइकोर्ट

Update: 2024-05-11 09:11 GMT

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने माना कि सरकारी कर्मचारी को ग्रेच्युटी उसकी सेवा के वर्षों के आधार पर देय होगी न कि जिस उम्र में वह रिटायर होता है।

जस्टिस जे.जे. मुनीर ने कहा,

"साठ साल की उम्र में रिटायरमेंट कोई ऐसा अधिकार नहीं है, जिससे कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो जो उसके पास नहीं है। कर्मचारी को ग्रेच्युटी का अधिकार उसके द्वारा सेवा किए गए वर्षों की नंबर के अनुसार मिलता है।"

याचिकाकर्ता एक सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट संस्थान में शिक्षक था, जिसने 57 वर्ष की आयु में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुना। सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट कॉलेजों में सेवारत शिक्षकों के लिए नियम बनाने वाले शासनादेश दिनांक 14.12.2011 के अनुसार यह प्रावधान है कि जो लोग दस वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी नहीं करते हैं वे पेंशन के हकदार नहीं हैं, जब तक कि वे साठ वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प नहीं चुनते हैं, ऐसी स्थिति में वे ग्रेच्युटी के हकदार हैं। याचिकाकर्ता उक्त शासनादेश के दायरे से बाहर होने के कारण ग्रेच्युटी के लिए पात्र नहीं था और इस रिट याचिका के माध्यम से इसकी मांग कर रहा था।

याचिकाकर्ता की ग्रेच्युटी के लिए याचिका को अस्वीकार करने के आदेश में तर्क को त्रुटिपूर्ण पाते हुए न्यायालय ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज को मामले पर पुनर्विचार करने के लिए समय दिया।

इसके जवाब में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने दिनांक 03.05.2024 को एक ज्ञापन जारी किया। उन्होंने मामले पर पुनर्विचार करने से इनकार करने के लिए संयुक्त निदेशक (पेंशन), ​​प्रयागराज मंडल द्वारा उठाई गई आपत्ति का हवाला दिया।

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपना पक्ष दोहराया कि मौजूदा नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी केवल उन्हीं को देय है, जिन्होंने साठ वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प चुना है, जिसे उन लोगों से अलग किया जाना चाहिए, जिन्होंने बासठ वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प चुना है। उन शिक्षकों के मामले में भी जिनकी मृत्यु साठ वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले हो गई है।

न्यायालय ने कहा कि जहां किसी व्यक्ति के पास 60 की बजाय 62 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प है, तो इससे उसका ग्रेच्युटी प्राप्त करने का अधिकार समाप्त नहीं होगा। न्यायालय ने माना कि ग्रेच्युटी केवल 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने वाले लोगों के लिए ही अधिकार नहीं है। यह कर्मचारियों द्वारा उनकी सेवा के वर्षों की नंबर के आधार पर अर्जित की जाती है।

न्यायालय ने माना कि संयुक्त निदेशक (पेंशन), ​​प्रयागराज मंडल और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रयागराज का तर्क बिना सोचे-समझे और सिद्धांत की समझ के था।

याचिकाकर्ता को देय ग्रेच्युटी की स्वीकृति, गणना और हस्तांतरण के लिए परमादेश जारी किया गया था।

न्यायालय ने निर्देश दिया,

"संयुक्त निदेशक (पेंशन), ​​प्रयागराज संभाग, प्रयागराज और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, प्रयागराज भी इस आदेश का संज्ञान लेंगे और भविष्य में इस तरह की व्याख्या नहीं दोहराएंगे, यदि अधिकारों का कोई समान समूह विचार के लिए उठता है।"

तदनुसार, रिट याचिका को अनुमति दी गई।

केस टाइटल- सेहरुन निशा बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य

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