हिंदू पौराणिक कथाओं में बलात्कार के कथित संदर्भ पर दर्ज FIR में AMU प्रोफेसर को मिली अग्रिम ज़मानत

Update: 2025-08-14 07:10 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के प्रोफेसर (डॉ. जितेंद्र कुमार) को अग्रिम ज़मानत दी, जिन पर 2022 में फोरेंसिक मेडिसिन की एक कक्षा के दौरान हिंदू पौराणिक कथाओं में बलात्कार के उदाहरणों का कथित तौर पर उल्लेख करने के लिए FIR दर्ज की गई थी।

जस्टिस गौतम चौधरी की पीठ ने आवेदक की भूमिका और मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत प्रदान की।

गौरतलब है कि पिछले अगस्त में डॉ. कुमार को अंतरिम अग्रिम ज़मानत दी गई थी, क्योंकि अदालत ने पाया था कि यूनिवर्सिटी ने मामले की जांच की थी और तीन प्रोफेसरों और असिस्टेंट रजिस्ट्रार की एक फैक्ट सर्च कमेटी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि आवेदक ने वास्तव में गलती की।

अदालत ने आगे कहा कि फैक्ट-सर्च कमेटी ने यह रिपोर्ट नहीं दी थी कि उन्होंने बिना किसी संदर्भ स्रोत के जानबूझकर धार्मिक अर्थों का उल्लेख किया था।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

"जब कोई शिक्षक कक्षा में पढ़ा रहा हो निर्धारित मानदंडों के भीतर विषय पढ़ाया जाना आवश्यक है। उसने सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तक का हवाला देकर ऐतिहासिक संदर्भ दिए हैं तो प्रथम दृष्टया यह न्यायालय यह नहीं मानता कि शिक्षक ने जानबूझकर धार्मिक भावनाओं के आधार पर सार्वजनिक शांति और सौहार्द भंग करने का प्रयास किया।"

इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने उन्हें उनके आवेदन पर अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित अगली तिथि तक अंतरिम अग्रिम ज़मानत प्रदान की थी इस शर्त के अधीन कि वे वर्तमान मामले के लंबित रहने के दौरान यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक परिषद द्वारा अनुमोदित किए जाने तक धार्मिक अर्थ वाले कोई भी ऐतिहासिक संदर्भ नहीं देंगे।

संक्षेप में मामला

प्रोफ़ेसर कुमार जिन्हें यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा अप्रैल 2022 में निलंबित कर दिया गया (लेकिन 2023 में बहाल कर दिया गया था) पर कथित तौर पर देवताओं से जुड़े विभिन्न हिंदू पौराणिक उदाहरणों का संदर्भ देकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया, यह दर्शाने के लिए कि बलात्कार अनादि काल से मौजूद थे।

AMU के पूर्व छात्र और भारतीय जनता पार्टी (BJP) कार्यकर्ता निशित शर्मा की शिकायत पर उनके खिलाफ भारतीय दं संहिता (IPC) की धारा 153ए, 295ए, 298 और 505(2) के तहत FIR दर्ज की गई थी।

असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना था कि उनका धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था। बलात्कार विषय यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम के साथ-साथ राष्ट्रीय मेडिकल आयोग के पाठ्यक्रम (स्नातक मेडिकल छात्रों को पढ़ाने के लिए) में भी शामिल था।

उन्होंने अपने इस दावे के समर्थन में दो पुस्तकों बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय भाग-8' (पृष्ठ 176 और 302) और ब्रह्म वैवर्त पुराण (गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पृष्ठ 183) का हवाला दिया कि उनके संदर्भ शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल ऐतिहासिक सामग्री पर आधारित थे।

उनका यह भी कहना है कि यूनिवर्सिटी की तथ्य-खोजी जांच में यह नहीं पाया गया कि उन्होंने जानबूझकर हिंदू पौराणिक कथाओं का संदर्भ दिया, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया और यह एक वास्तविक गलती थी।

केस टाइटल - डॉ. जितेंद्र कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 2 अन्य

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