सरकारी जमीन पर पूर्व विधायक की मूर्ति लगाने का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर हटाने की रिपोर्ट तलब की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर में सरकारी भूमि पर बिना अनुमति मूर्तियां लगाए जाने की समस्या पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका (PIL) दर्ज की है।
जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने पूर्व विधायक इंद्रभद्र सिंह (धनपतगंज, सुल्तानपुर) की मूर्ति से संबंधित याचिका को जनहित याचिका में बदलते हुए इसका शीर्षक रखा — “In Re: Installation of Statue etc. on Public Land and Their Removal”।
याचिकाकर्ता अमित वर्मा ने आरोप लगाया था कि पूर्व विधायक की मूर्ति सुल्तानपुर की सरकारी भूमि पर लगाई गई है। राज्य पक्ष ने इसे राजनीतिक प्रेरित बताया, जिसे याचिकाकर्ता ने खारिज किया।
25 सितंबर को अदालत ने कहा कि सार्वजनिक भूमि पर मूर्तियों की स्थापना या हटाने को लेकर बार-बार मामले आते हैं, इसलिए इस पर स्वतः संज्ञान लेकर अलग पीआईएल दर्ज की जाए। अदालत ने राज्य सरकार और जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी कि मूर्तियां सरकारी भूमि पर हैं या नहीं, और यदि हैं तो उन्हें हटाने की प्रक्रिया क्या होगी।
खंडपीठ ने 1997 और 2008 के सरकारी आदेशों तथा Union of India vs. State of Gujarat & Others में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हाईकोर्ट की जिम्मेदारी है कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध निर्माणों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश लागू करे।
31 अक्टूबर को अदालत ने पाया कि जिलाधिकारी के हलफनामे में मूर्तियों को हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं है। अदालत ने जिलाधिकारी को पूरक हलफनामा दाखिल करने और नगर पालिका से यह बताने को कहा कि मूर्तियां किसने और किन परिस्थितियों में लगाई।
अब मामला 25 नवंबर 2025 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।