पूर्व विधायक सुनील केदार ने खुद दर्ज कराई FIR, ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियां साक्ष्य के विपरीत: बॉम्बे हाइकोर्ट ने NDCC बैंक धोखाधड़ी मामले में कांग्रेस नेता की सजा निलंबित की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पाया कि ट्रायल कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस विधायक सुनील केदार को दोषी ठहराते समय पेश किए गए सबूतों के विपरीत टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया कि केदार ने खुद एफआईआर दर्ज कराई थी।
जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के ने 153 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक घोटाला मामले में दोषी केदार की सजा निलंबित कर दी। यह बताया गया कि केदार ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी अपील में विवादास्पद मुद्दे उठाए हैं।
अदालत ने कहा,
“ट्रायल कोर्ट की यह टिप्पणी कि कार्रवाई करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, सबूतों के विपरीत है, क्योंकि आवेदक (सुनील केदार) ने अपराध दर्ज करने से पहले एफआईआर दर्ज कराई। जांच अधिकारी द्वारा विशिष्ट स्वीकारोक्ति से पता चलता है कि आवेदक और एचटीएल के बीच किसी भी लेनदेन को दिखाने वाला कोई सबूत उसके सामने नहीं आया। यह दर्शाता है कि साजिश में उसकी संलिप्तता दिखाने वाली ट्रायल कोर्ट की टिप्पणी सबूतों के विपरीत है।”
ट्रायल कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि केदार और एचटीएल के अधिकारियों के बीच साजिश थी। वहीं हाइकोर्ट ने बताया कि यह जांच अधिकारी की इस स्वीकारोक्ति के विपरीत है कि केदार ने न तो अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए राशि का निवेश किया, न ही वह उस राशि के हस्तांतरण से चिंतित है।
सावनेर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व कांग्रेस विधायक सुनील केदार, नागपुर जिला केंद्रीय (NDCC) के कार्यवाहक अध्यक्ष थे।
केदार को छह अन्य लोगों के साथ बैंक के धन के दुरुपयोग की साजिश के लिए दोषी ठहराया गया। यह धनराशि निजी ब्रोकरों जैसे होम ट्रेड लिमिटेड (HTL), सेंचुरी डीलर्स, गिल्टेज मैनेजमेंट, इंद्रमणि मर्चेंट्स और सिंडिकेट मैनेजमेंट सर्विसेज के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की गई। बाद में नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) ने अनियमितताओं का खुलासा किया, जिससे जांच शुरू हो गई।
केदार ने दलालों के खिलाफ मूल कॉपी के बजाय केवल प्रतिभूतियों की फोटोकॉपी की आपूर्ति करके धन के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की। लेकिन बाद की जांच में केदार के खिलाफ ही आरोप लगाए गए उन पर विश्वास तोड़ने और दलालों के साथ NDCC बैंक को धोखा देने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया।
एडिशनल चीफ जस्टिस मजिस्ट्रेट, नागपुर ने केदार को IPC की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया और उसे पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। केदार ने दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए अपील दायर की। उन्होंने अपील लंबित रहने के दौरान अपनी सजा निलंबित करने की मांग करते हुए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
ट्रायल कोर्ट ने पाया कि भारत सरकार (GOI) की भौतिक प्रतिभूतियों के अधिग्रहण के बहाने HTL को करोड़ों रुपये हस्तांतरित किए गए, जो एनडीसीसी बैंक के लिए कभी नहीं खरीदे गए थे। ट्रायल कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि ऐसी कोई प्रतिभूति अर्जित नहीं की गई, इसलिए केदार और HTL के सह-अभियुक्त द्वारा सभी बिक्री लेनदेन झूठे और जाली थे।
हाइकोर्ट ने बताया कि यह निष्कर्ष निकालने के बावजूद कि कोई खरीदारी नहीं की गई। ट्रायल कोर्ट ने यह भी देखा कि आरोपी ने दलालों से मूल प्रतिभूतियों की मांग करने या यह पुष्टि करने के लिए कदम नहीं उठाए कि ऐसी प्रतिभूतियां खरीदी गईं, या नहीं।
ट्रायल कोर्ट ने पाया कि HTL के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद से जुड़े लेनदेन के संबंध में निदेशक मंडल को अंधेरे में रखा गया। हाइकोर्ट ने कहा कि यह उन सबूतों के विपरीत है, जो दर्शाते हैं कि HTL के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद को प्रस्ताव पारित करके और वार्षिक रिपोर्ट में प्रकाशित करके न केवल निदेशक मंडल बल्कि शेयर धारकों के भी ध्यान में लाया गया।
हाइकोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर सबूतों की पूरी तरह से सराहना करने की आवश्यकता नहीं, बल्कि यह देखना है कि क्या आवेदक के पास अपील में तर्कपूर्ण बिंदु हैं और बरी होने की संभावना है।
हाइकोर्ट ने अपील पर निर्णय होने से पहले सजा निष्पादित होने पर संभावित अपूरणीय क्षति के बारे में चिंता व्यक्त की। अदालत ने माना कि केदार ने अपनी अपील में सजा के निलंबन को उचित ठहराते हुए तर्कपूर्ण बिंदु उठाए और प्रथम अपीलीय अदालत के समक्ष अपील के निपटारे तक वास्तविक जेल की सजा निलंबित कर दी।
केस नंबर - आपराधिक आवेदन (एपीपीएलएन) नंबर 01/2024
केस टाइटल - सुनील पुत्र स्वर्गीय छत्रपाल केदार बनाम महाराष्ट्र राज्य।
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