बलिया एसपी ने खेद व्यक्त किया, सुधारात्मक कदम उठाए; इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा अदालत आदेश को FIR मानने का अध्याय बंद किया
हाईकोर्ट के आदेश की हूबहू नकल करके लिखित FIR दर्ज करने से जुड़े विवाद का पटाक्षेप करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 जुलाई को अपने पूर्व निर्देशों का पर्याप्त अनुपालन पाया और मामले के इस हिस्से को स्थगित करने का फैसला किया।
बता दें, मामला एक स्कूल कर्मचारी की नियुक्ति में कथित हेराफेरी और मूल सेवा पुस्तिका के संदिग्ध गायब होने से संबंधित था। बलिया पुलिस ने कानून के अनुसार कार्यवाही करने के बजाय सीधे तौर पर अदालत के 29 मई के आदेश को ही लिखित प्राथमिकी मान लिया।
इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने 3 जुलाई को इस कृत्य को प्रथम दृष्टया 'अनैतिक' और 'स्पष्ट रूप से अवैध' करार दिया और बलिया के पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह से स्पष्टीकरण मांगा।
अब हाईकोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए पुलिस अधीक्षक ने 14 जुलाई को हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि पिछली FIR केवल हाईकोर्ट का आदेश हूबहू दोहराकर और याचिकाकर्ता से कोई लिखित शिकायत प्राप्त किए बिना दर्ज की गई।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि यह चूक आंतरिक समीक्षा के बाद पाई गई और तत्कालीन थाना प्रभारी, रेवती के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दिए गए।
हलफनामे के अनुसार, पुलिस अधीक्षक ने 9 जुलाई को अनुचित तरीके से दर्ज की गई FIR भी रद्द की और थाना प्रभारी को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार नई FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। पीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत लिखित शिकायत के आधार पर अब नई FIR दर्ज की गई।
हलफनामे में आगे कहा गया कि सभी संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए सचेत किया गया कि भविष्य में ऐसी चूक दोबारा न हो। उन्होंने तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा दिखाई गई घोर लापरवाही और उदासीनता के लिए भी गहरा खेद व्यक्त किया।
हलफनामे को रिकॉर्ड में लेते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणी की:
"अनुलग्नक संख्या पीए-5 के अवलोकन से पता चलता है कि शिकायतकर्ता से लिखित जानकारी प्राप्त करने के बाद नई FIR दर्ज की गई। इस न्यायालय के आदेशों की प्रतिलिपि जांच प्रपत्र में संलग्न करके पूर्व में दर्ज की गई FIR रद्द कर दी गई, जैसा कि उक्त व्यक्तिगत हलफनामे के पैराग्राफ नंबर 12 में कहा गया। यह हमारे आदेशों का पर्याप्त अनुपालन है और मामले का यह भाग यहीं समाप्त होता है।"
न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले को आगे की सुनवाई के लिए 28 जुलाई, 2025 को दोपहर 2:00 बजे सूचीबद्ध किया जाए।
Case title - Devendra Kumar Singh vs. State Of U.P. And 4 Others