वकीलों की हड़ताल पर मामला स्थगित करना अनुशासनात्मक कार्रवाई को आमंत्रित कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SDM को जारी किया कारण बताओ नोटिस

Update: 2025-08-04 06:51 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते सप्ताह अलीगढ़ में एक उप-जिलाधिकारी (SDM) को उस समय फटकार लगाई, जब उन्होंने स्थानीय बार एसोसिएशन की हड़ताल के आह्वान के चलते मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

जस्टिस जे.जे. मुनीर की एकल पीठ ने कहा कि बार एसोसिएशन के इस प्रकार के आह्वान को स्वीकार करना न्यायिक अधिकारी के आचरण में कदाचार की श्रेणी में आ सकता है। इसके चलते उस अधिकारी को पद से हटाने तक की अनुशंसा की जा सकती है।

कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्होंने वकीलों की हड़ताल के चलते 25 जुलाई 2025 की सुनवाई टाल दी।

यह मामला सत्यपाल सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 38(2) के तहत दाखिल बहाली आवेदन से जुड़ा है। वकील उस दिन न्यायिक कार्य से विरत थे, जिसके चलते मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की गई।

कोर्ट ने SDM के इस आचरण की कड़ी आलोचना करते हुए कहा,

"अब यह भली-भांति स्थापित है कि बार एसोसिएशन के आह्वान पर पेशेवर कार्य से विरत रहना पूरी तरह अवैध और अमान्य है यदि कोई वकील बहाली आवेदन पर उपस्थित नहीं हुआ और बार की कोई हड़ताल थी तब भी कोर्ट को कानून का पालन करना चाहिए, न कि उस प्रस्ताव का समर्थन जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय सिद्धांतों के विपरीत हो।"

कोर्ट ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला दिया, जिनमें प्रमुख हैं:

1. Ex-Capt. Harish Uppal बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2003)

2. Krishnakant Tamrakar बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2018)

3. Faizabad Bar Association बनाम उत्तर प्रदेश बार काउंसिल व अन्य (हालिया आदेश)

इन निर्णयों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा,

"हड़ताल प्रस्ताव को स्वीकार करना न्यायिक अधिकारी के लिए आचरण में दोष की श्रेणी में आता है, जिससे उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है। ऐसे अधिकारी को पद से हटाने की भी आवश्यकता हो सकती है।"

इसके साथ ही कोर्ट ने उस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव के पूरे विवरण सहित हलफनामा मांगा, जिन्होंने वकीलों से पेशेवर कर्तव्यों से विरत रहने का आह्वान किया था।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी।

केस टाइटल: अशोक कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य

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