इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल में बंद कैदियों के बच्चों को नियमित स्कूलों में भेजने की उत्तर प्रदेश सरकार की नीति का ब्यौरा मांगा

Update: 2024-10-31 07:04 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह जेल में बंद कैदियों (जो अपने माता-पिता के साथ जेल में रहते हैं) के बच्चों को पूरे राज्य में नियमित स्कूलों में दाखिला दिलाने की अपनी नीति के बारे में विस्तृत हलफनामा पेश करे।

जस्टिस अजय भनोट की पीठ ने रेखा नामक महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि आवेदक का पांच साल का बच्चा जेल में है। जब न्यायालय ने बच्चे की शिक्षा की स्थिति के बारे में पूछा तो पीठ को बताया गया कि बच्चा जेल परिसर में स्थित क्रेच स्कूल में पढ़ रहा है, जो केवल कैदियों के बच्चों के लिए है।

महानिदेशक (कारागार) और प्रमुख सचिव (महिला एवं बाल विकास) ने हलफनामा दाखिल कर एकल जज को बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में कैदियों के कई बच्चे उनके साथ जेलों में रहते हैं।

राज्य सरकार ने यह भी कहा कि वह अपने कैदी माता-पिता के साथ जेल में रह रहे बच्चों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। पीठ को यह भी बताया गया कि राज्य सरकार उक्त श्रेणी के बच्चों को नियमित स्कूलों में एडमिशन दिलाने तथा विभिन्न सी.सी.आई. में बच्चों के लिए अन्य सहायता प्रणालियाँ उपलब्ध कराने के लिए एक योजना तैयार करने को तैयार है।

इन दलीलों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने शुरू में ही यह टिप्पणी की कि जेलों में रहने वाले कैदियों के बच्चों की शिक्षा तथा समग्र विकास को जेलों के सीमित वातावरण द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।

न्यायालय ने आगे टिप्पणी की,

“विधानसभा तथा कानून सभी बच्चों के अधिकारों के प्रति सजग हैं, विशेष रूप से उन बच्चों के, जिन्हें देखभाल तथा संरक्षण की आवश्यकता है। किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल तथा संरक्षण) अधिनियम तथा बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ संवैधानिक न्यायालयों के निर्णयों द्वारा बच्चों को दिए गए मौलिक अधिकारों को लागू किया जाना चाहिए, चाहे बच्चे किसी भी वातावरण में हों।”

इसे देखते हुए पीठ ने राज्य के सक्षम विभागों/विभागों, जिनमें प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, प्रमुख सचिव (कारागार), उत्तर प्रदेश सरकार और महानिदेशक (कारागार), उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ शामिल हैं, उसको इस संबंध में अंतिम नीति तैयार करने और पीठ को इसके बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया।

मामले को (जमानत पर) निर्णय सुनाने के लिए 20 नवंबर की तारीख तय की गई।

केस टाइटल- रेखा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

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