इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विदेश में गारंटर और संपत्ति वाली विदेशी फर्मों को दिए गए लोन के लिए RBI गाइडलाइंस की डिटेल्स मांगी

Update: 2025-12-18 04:41 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में भारत सरकार से रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की उन गाइडलाइंस के बारे में खास निर्देश मांगे, जो विदेशी धरती पर विदेशी कंपनियों को दिए गए लोन से संबंधित हैं, जहाँ कोलैटरल सिक्योरिटी किसी विदेशी व्यक्ति की है।

जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की बेंच मोहम्मद फारूक नाम के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) में स्थित एक फर्म से जुड़े बैंक ऑफ़ बड़ौदा के साथ लोन विवाद के संबंध में हाईकोर्ट का रुख किया था।

संक्षेप में मामला

बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने एक गैर-भारतीय संस्था, M/s फ़ार्लिन टिम्बर्स को लोन दिया था। याचिकाकर्ता एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक है, दुबई में उस फर्म के लिए गारंटर है। कोलैटरल सिक्योरिटी के तौर पर दुबई में स्थित एक वेयरहाउस बैंक के पास गिरवी रखा गया।

आरोप है कि फर्म के पक्ष में याचिकाकर्ता को कोलैटरल के तौर पर स्वीकार करते समय बैंक को एक खाली चेक दिया गया, जो बाद में बाउंस हो गया और इससे संबंधित एक आपराधिक कार्यवाही UAE की एक अदालत में लंबित है।

बेंच को बताया गया कि ब्याज और मूलधन सहित याचिकाकर्ता पर आज बकाया लोन की राशि "104 करोड़ रुपये से अधिक" है। हालांकि, वेयरहाउस के मूल्य के संबंध में उल्लिखित मूल लोन की राशि 55 करोड़ रुपये थी।

मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बेंच ने कहा कि भारत में कुछ भी नहीं हुआ; संबंधित व्यक्ति बैंक को छोड़कर भारतीय नागरिक नहीं हैं और न ही,पहली नज़र में वे भारतीय कानून के दायरे में आते हैं।

इस प्रकार, इन खास परिस्थितियों को देखते हुए जिसमें कर्जदार, गारंटर और कोलैटरल सभी भारत के बाहर स्थित हैं, हाईकोर्ट ने भारत सरकार को संबंधित नियामक ढांचा उसके सामने पेश करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने भारत सरकार को "रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की उन गाइडलाइंस को पेश करने का निर्देश दिया, जिनका बैंकों को पालन करना होता है, जब इस तरह के लोन किसी विदेशी कंपनी को विदेशी धरती पर दिए जाते हैं और जहाँ कोलैटरल सिक्योरिटी किसी विदेशी व्यक्ति की होती है।"

कोर्ट ने कहा कि वह अगली सुनवाई की तारीख (जनवरी 2026 के पहले सप्ताह) पर भारत सरकार से निर्देशों की उम्मीद करेगा। खास बात यह है कि चूंकि याचिकाकर्ता ने बताया कि दुबई में गिरवी रखा गया वेयरहाउस "बेच दिया गया", लेकिन इससे लोन की पूरी रकम कवर नहीं हुई, इसलिए कोर्ट ने बैंक ऑफ बड़ौदा के वकील को वेयरहाउस की कीमत से जुड़े डॉक्यूमेंट्स के बारे में निर्देश लेने को कहा।

बैंक को वेयरहाउस के खरीदार और दुबई में जिस कीमत पर वेयरहाउस बेचा गया, उसके बारे में डिटेल्स देने का निर्देश दिया गया।

Case title - Mohammed Farouk vs. Union Of India And 2 Others

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