हाईकोर्ट ने विध्वंस का सामना कर रही संभल की रायन बुजुर्ग मस्जिद को अंतरिम राहत देने से किया इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पेशल सुनवाई में संभल की रायन बुजुर्ग मस्जिद को अंतरिम राहत देने से इनकार किया, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए विध्वंस नोटिस का सामना करना पड़ रहा है।
जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने मस्जिद प्रबंधन द्वारा दायर उस याचिका को वापस ले लिया, जिसमें असिस्टेंट कलेक्टर प्रथम श्रेणी/तहसीलदार, संभल द्वारा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत कार्यवाही में पारित 2 सितंबर, 2025 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
शुरुआत में याचिकाकर्ताओं के वकील ने 2 सितंबर के आदेश की फोटोस्टेट कॉपी और याचिकाकर्ता नंबर 2, मिंज़ार द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित वकालतनामा के साथ पूरक हलफनामा प्रस्तुत किया। अदालत ने निर्देश दिया कि इसे रिकॉर्ड में लिया जाए।
दोनों पक्षकारों के वकीलों की विस्तृत सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67(5) के तहत उपलब्ध वैकल्पिक उपाय का सहारा लेने के लिए सक्षम अदालत, अर्थात् संबंधित कलेक्टर के समक्ष अपील दायर करके रिट याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।
राज्य की ओर से उपस्थित डिप्टी एडवोकेट जनरल और मुख्य सरकारी वकील ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। तदनुसार, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अपने वैधानिक उपाय का लाभ उठाने की स्वतंत्रता देते हुए रिट याचिका वापस लेते हुए खारिज किया।
विदा लेने से पहले याचिकाकर्ताओं के वकील ने इस बीच मस्जिद के खिलाफ किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए अंतरिम संरक्षण की प्रार्थना की।
प्रार्थना अस्वीकार करते हुए अदालत ने इस प्रकार टिप्पणी की:
"मेरी राय में याचिकाकर्ताओं के लिए अंतरिम संरक्षण के लिए अपीलीय कोर्ट के समक्ष उचित आवेदन प्रस्तुत करना स्वतंत्र है। याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत आवेदन, यदि कोई हो, पर इस अदालत द्वारा पारित आदेश से प्रभावित हुए बिना कानून के अनुसार, उसके गुण-दोष के आधार पर अपीलीय कोर्ट द्वारा विचार किया जाएगा और निर्णय दिया जाएगा।"
इसके साथ ही अदालत ने किसी भी अंतरिम संरक्षण को बढ़ाने से इनकार किया।
बता दें, यह मामला संभल के रयान बुजुर्ग गांव में स्थित मस्जिद और उससे सटे अस्पताल के खिलाफ विध्वंस की कार्यवाही से संबंधित है, जिसके बारे में प्रशासन का दावा है कि यह खाद के गड्ढे/तालाब की ज़मीन पर स्थित है।
मस्जिद प्रबंधन ने शुक्रवार को तर्क दिया कि जारी किए गए नोटिस पिछले साल जारी किए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का 'घोर उल्लंघन' हैं, जिसमें धार्मिक ढांचों को गिराने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करने का आदेश दिया गया।
Case title - Masjid Shareef Gosulbara Ravan Bujurg And Another vs. State Of Up And 5 Others