इलाहाबाद हाइकोर्ट ने प्रयागराज के अस्पताल में चूहों की समस्या पर स्वत: संज्ञान लिया
इलाहाबाद हाइकोर्ट ने प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में चूहों के आतंक के संबंध में अमर उजाला समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने मामले को स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का निर्देश दिया। यही नहीं कोर्ट ने अधिकारियों को इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया।
मीडिया में यह खबर 17 जनवरी को प्रकाशित हुई थी, जिसमें अस्पताल में चूहों के खतरे को इस हद तक उजागर किया गया कि वे अस्पताल में रखे दवाओं और अन्य वस्तुओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
रिपोर्ट में एसआरएन (SRN) अस्पताल के मुख्य अधीक्षक डॉ. अजय सक्सेना के बयान का भी हवाला दिया गया। डॉ सक्सेना ने स्वीकार किया कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद खतरा अभी भी कायम है। इससे निपटने के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं।
अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि यदि समाचार सही है तो यह अस्पताल में आने वाले मरीजों और पहले से ही वहां भर्ती लोगों के लिए एक 'संभावित खतरा' है।
इसके अलावा कोर्ट के इस सवाल के जवाब में कि इस मामले में क्या निर्देश हैं। एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कहा कि अस्पताल में चूहे के खतरे को नियंत्रित करने का काम हाउसकीपिंग एजेंसी को आउटसोर्स किया गया, जो चूहों को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय कर रही है, जैसे- चूहा जाल, चूहा पैड, चूहा मार आदि प्रदान करना।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि एजेंसी ने चीफ सुपरिटेंडेंट को इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से लेने और खतरे को रोकने के लिए एक विशेष अभियान चलाने का आश्वासन दिया है।
इसके अलावा, चूहों की उपस्थिति केवल मरीजों के परिचारकों के कारण होती है, जो अस्पताल के परिसर के अंदर खाने का सामान लाते हैं। न्यायालय दलील से प्रभावित नहीं हुआ, क्योंकि उसने पाया कि यह अस्पताल के अधिकारी और कर्मचारी की असहायता को उचित नहीं ठहराता है।
इसके अलावा, इस बात पर जोर देते हुए कि यह मुद्दा सार्वजनिक महत्व का है। अस्पताल आने वाले और वहां इलाज कराने वालों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अदालत ने इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों की निगरानी करने का फैसला किया।
तदनुसार, न्यायालय ने एसआरएन अस्पताल के मुख्य अधीक्षक को एजेंसी के साथ एसआरएन अस्पताल द्वारा किए गए अनुबंध का विवरण रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया। साथ ही एजेंसी को भुगतान की गई राशि समस्या को नियंत्रित करने के लिए एजेंसी द्वारा उठाए गए कदम और एसआरएन अस्पताल और उसके आसपास चूहों के प्रजनन को रोकने के लिए उत्तरदाताओं ने क्या कदम उठाए, या उठाने का प्रस्ताव किया।
मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।
केस टाइटल - सुओ मोटो इन रे एसआरएन अस्पताल बनाम यूपी राज्य में चूहों का खतरा।
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