पासपोर्ट की अवधि तय नहीं होने पर केवल एक साल का पासपोर्ट जारी करना सही: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर सक्षम आपराधिक अदालत किसी व्यक्ति को विदेश यात्रा की अनुमति या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) देती है लेकिन उसमें पासपोर्ट की अवधि का उल्लेख नहीं होता, तो पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा सिर्फ एक वर्ष की वैधता वाला पासपोर्ट जारी करना उचित है।
जस्टिस अजीत कुमार और जस्टिस स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह फैसला रहीमुद्दीन की याचिका पर दिया। उन्होंने सीजेएम पीलीभीत से मिले एनओसी के आधार पर 10 साल की वैधता वाले पासपोर्ट की मांग की थी। पासपोर्ट कार्यालय ने केवल एक वर्ष (जनवरी 2025 से जनवरी 2026) के लिए पासपोर्ट जारी किया था।
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि अदालत के आदेश में अवधि का उल्लेख नहीं है, तो पासपोर्ट की वैधता एक वर्ष तक सीमित रहेगी, जिसे बाद में कानूनी प्रक्रिया से नवीनीकरण कराया जा सकता है। अदालत ने कहा कि रहीमुद्दीन 10 साल का पासपोर्ट अधिकार स्वरूप नहीं मांग सकते।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पासपोर्ट जारी करने और पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी नहीं की जानी चाहिए।
विदेश मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार,
• नए पासपोर्ट के लिए 30 कार्य दिवस,
• और पुनः जारी करने के लिए 7 कार्य दिवस की समय सीमा तय है।
अदालत ने कहा कि देरी व्यक्ति के विदेश यात्रा के अधिकार में बाधा बनती है।
हाईकोर्ट ने पासपोर्ट प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए निर्देश दिए कि आवेदक पहले नोटिस का जवाब दें, लंबित मामलों में एनओसी प्राप्त करें, और पासपोर्ट अधिकारी आवेदन को एक महीने में निपटाएं।
अदालत ने आदेश की प्रति उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश दिया।