इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में अतिक्रमण के खिलाफ रक्षा भूमि की सुरक्षा के लिए स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की
यूपी में अपने सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रतिष्ठित शहर अयोध्या में रक्षा भूमि पर कथित अतिक्रमण और अनधिकृत कब्जे के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया।
अदालत इस मुद्दे की ओर तब आकर्षित हुई, जब अयोध्या में सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील ने रक्षा भूमि पर अतिक्रमण और इसे हटाने में सिविल/जिला अधिकारियों की विफलता का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की।
हालांकि, याचिकाकर्ता, जिसका कथित तौर पर 4 मामलों का आपराधिक इतिहास है, उसके आदेश पर मामले में आगे बढ़ना उचित नहीं पाते हुए जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने रजिस्ट्री को यह निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। मामले में सुओ मोटो जनहित याचिका दर्ज करें और इसे उचित पीठ के समक्ष रखें।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह भी निर्देश दिया कि यदि वह जनहित याचिका दायर करता है तो वह जनहित याचिका (पीआईएल) नंबर 483/2023 में पारित दिनांक 25.05.2023 के आदेश का खुलासा करेगा, जिसमें न्यायालय की समन्वय पीठ ने उसी विषय वस्तु के संबंध में उनके द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
मामले में न्यायालय ने कहा कि निरंतर आपराधिक इतिहास वाले ऐसे व्यक्ति के आदेश पर जनहित याचिका पर विचार करना अंततः जनहित याचिका न्यायशास्त्र की धारा को अशुद्ध करता है।
इसके अलावा, नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर एक और याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई राज्य भूमि पर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता या कानून का उल्लंघन करते हुए इसे नष्ट नहीं किया जा सकता।