इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तालाबों की नीलामी के बिना कब्जे के पैटर्न की ओर इशारा किया, मत्स्य पालन विभाग से राज्यव्यापी रिपोर्ट मांगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने उत्तर प्रदेश मत्स्य पालन विभाग के कामकाज में "काफी कुटिल" पैटर्न का संज्ञान लिया और पाया कि राज्य भर में तालाबों की नियमित रूप से नीलामी की जाती है, लेकिन सफल बोलीदाताओं को न तो कब्जा दिया जाता है और न ही पट्टा-पत्र सौंपे जाते हैं, जिससे "सरकारी खजाने को भारी नुकसान" होता है।
जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने सीतापुर में तालाब के लिए पट्टा-पत्र निष्पादित करने का निर्देश देने के लिए अधिकारियों को आदेश देने की मांग वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसकी नीलामी पिछले साल नवंबर में हुई थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सीतापुर जिले के एक गाँव में स्थित तालाब की नीलामी जीतने के बावजूद, राज्य के अधिकारियों ने न तो पट्टा-पत्र निष्पादित किया और न ही उसे कब्जा सौंपा।
न्यायालय ने कहा कि उसे इस प्रकार के कई मामले देखने को मिले हैं, जिनसे एक समान पैटर्न का पता चलता है, जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ, जहां नीलामी होने के बावजूद, याचिकाकर्ता को तालाब का कब्ज़ा नहीं दिया गया, और यहां तक कि पट्टा विलेख भी जारी नहीं किया गया।
खंडपीठ ने एक और बार-बार होने वाली स्थिति का भी ज़िक्र किया: जब रिट याचिकाएं दायर की जाती हैं तो मत्स्य विभाग के वकील कोर्ट को सूचित करते हैं कि निविदा रद्द कर दी गई, लेकिन वे यह बताने में असमर्थ हैं कि क्या रद्दीकरण की यह सूचना बोलीदाताओं को कभी दी गई।
इस प्रणाली को 'कुटिल' प्रकृति का बताते हुए कोर्ट ने इस प्रकार टिप्पणी की:
"...यह स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है कि विभिन्न लोगों को मत्स्य पालन के लिए तालाब न देने की यह पूरी कार्रवाई सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा रही है, जहां अज्ञात लोग अवैध रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियां जारी रखे हुए हैं।"
कोर्ट ने टिप्पणी की कि हालांकि पहले की याचिकाओं में भी इसी तरह की चिंताएं उठाई गईं, मत्स्य विभाग ने स्थिति को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
इस प्रकार, खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश मत्स्य पालन विभाग के निदेशक को निम्नलिखित का उल्लेख करते हुए विस्तृत राज्यव्यापी रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया:
1. उत्तर प्रदेश राज्य में उपलब्ध तालाबों की संख्या, जो सामान्यतः मछली पकड़ने के लिए पट्टे पर दिए जाते हैं।
2. की गई नीलामियों की संख्या और उक्त नीलामियों को रद्द करने के कारण।
3. उन तालाबों की संख्या जिनमें वर्तमान में विभिन्न व्यक्तियों को पट्टे दिए गए।
4. उन तालाबों की संख्या, जिनमें कोई नीलामी नहीं की गई और न ही मछली पकड़ने की गतिविधियों के लिए किसी निजी व्यक्ति को पट्टा दिया गया।
न्यायालय ने इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है और मामले को 3 दिसंबर 2025 के लिए सूचीबद्ध किया।
Case title - Malik vs State Of U.P. Thru. Addl. Chief Secy. Deptt. Of Revenue Lko. And 3 Others