इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में पुलिस की 'खराब' जांच को लेकर फटकार लगाई, उत्तर प्रदेश के DGP से हलफनामा मांगा

Update: 2024-06-24 05:14 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में 14 वर्षीय लड़की से बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की 'खराब' जांच की आलोचना की। न्यायालय ने जांच और पर्यवेक्षण अधिकारियों द्वारा मामले की जांच और पर्यवेक्षण में खामियों को उजागर किया।

जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने कहा कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में लड़की के नौ सप्ताह की गर्भवती होने की पुष्टि होने के बावजूद, जांच अधिकारी ने उससे गर्भावस्था के बारे में महत्वपूर्ण सवाल नहीं पूछे, इस चूक को पर्यवेक्षण अधिकारी ने भी नजरअंदाज किया।

न्यायालय ने टिप्पणी की,

“यह जांच और पर्यवेक्षण की खराब गुणवत्ता का अनोखा मामला है। वर्तमान मामले में यह पाया गया कि पीड़िता की आयु लगभग 14 वर्ष है और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि वह नौ सप्ताह की गर्भवती है, लेकिन जांच अधिकारी द्वारा उसकी गर्भावस्था के बारे में कोई विशेष प्रश्न नहीं पूछा गया और पर्यवेक्षण अधिकारी द्वारा भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया।”

जांच में इन कमियों के जवाब में एकल न्यायाधीश ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को अगली सूचीबद्ध तिथि (29 जुलाई, 2024) तक जांच अधिकारी, पर्यवेक्षण अधिकारी, निगरानी अधिकारी और अन्य उच्च अधिकारियों की जवाबदेही से संबंधित परिपत्रों को संलग्न करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें कहा गया कि पीड़िता ने अपने बयान में अभियोजन पक्ष के बयान का समर्थन नहीं किया।

मूलतः पीड़िता के भाई ने मामले में एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि 21 अप्रैल, 2023 को उसकी बहन लापता हो गई। तलाश के बावजूद उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी, इसलिए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धारा 363 आईपीसी के तहत गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

इसके बाद पीड़िता खुद थाने पहुंची और दावा किया कि उसकी उम्र करीब 20 साल है। उसने यह भी कहा कि मां की डांट से क्षुब्ध होकर वह घर छोड़कर कानपुर में अपनी मौसी के घर चली गई।

इसके बाद महिला कांस्टेबल ने धारा 161 सीआरपीसी के तहत उसका बयान दर्ज किया, जिसमें उसने अपने आवेदन में बताए गए अपने बयान को दोहराया। इसके बाद उसे डॉक्टर के सामने पेश किया गया और उसकी अस्थिकरण जांच में उसकी उम्र 15 वर्ष पाई गई। मेडिकोलीगल जांच में उसकी हाइमन फटी हुई और ठीक पाई गई तथा कोई आंतरिक चोट नहीं पाई गई।

महत्वपूर्ण बात यह है कि उसकी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में पाया गया कि 19 सितंबर 2023 को उसका गर्भ नौ सप्ताह का है। मामले में जमानत मांग रहे आरोपी ने दलील दी कि आरोप पत्र दाखिल हो चुका है और मुकदमा नहीं चल रहा है, ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

वहीं, राज्य की ओर से पेश एजीए ने दलील दी कि आवेदक ने खुद कबूल किया कि उसने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए और पीड़िता के माता-पिता ने भी अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन किया। इसलिए आरोप पत्र दाखिल किया गया।

आवेदक और एजीए के वकील की प्रतिद्वंद्वी दलीलों, रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री, एफआईआर की सामग्री, अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों, अपराध की प्रकृति और धारा 161 और 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज पीड़िता के बयान, जिसमें पीड़िता ने अभियोजन पक्ष के बयान का समर्थन नहीं किया, को ध्यान में रखते हुए अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी।

केस टाइटल- रामचंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से प्रधान सचिव गृह सिविल सचिवालय लखनऊ और 3 अन्य

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