याचिकाओं को सूचीबद्ध करने से पहले कमियों को ठीक करना निश्चित करें: फाइलिंग में बार-बार चूक के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को दिया निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे बार-बार आने वाले उन मामलों पर गौर करें जिनमें रिट याचिकाएं फाइल करते समय संबंधित सेक्शन द्वारा याचिकाओं में कमियों को नहीं बताया गया था।
जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की बेंच ने संबंधित अधिकारी को यह भी निर्देश दिया कि कोर्ट में कोई भी याचिका पेश करने से पहले रजिस्ट्रार जनरल खुद या रजिस्ट्री के किसी अन्य सीनियर अधिकारी को यह वेरिफाई करने के लिए नियुक्त करेंगे कि कमियों को ठीक किया गया है या नहीं।
यह मुद्दा पहली बार 3 नवंबर, 2025 को कोर्ट द्वारा निपटाई गई एक याचिका में सामने आया, जहां जस्टिस शमशेरी ने कहा था कि याचिका "डिफेक्टिव थी क्योंकि पेपर बुक के कई पन्नों पर डबल पेज नंबरिंग है"।
हालांकि, आदेश में दर्ज किया गया कि यह पहला मामला नहीं था बल्कि "दिन का चौथा मामला था, जिसमें ऐसी कमियां पाई गई थीं"।
इस पर साफ़ तौर पर नाराज़गी दिखाते हुए सिंगल जज ने यह कहा था:
"रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले को देखने का निर्देश दिया जाता है कि रिट पिटीशन फाइल करते समय संबंधित सेक्शन ने ऐसी कमियों को क्यों नहीं बताया।"
इसके बाद जब याचिकाकर्ता के वकील ने बेहतर डिटेल्स के साथ नई याचिका फाइल करने की आज़ादी के साथ रिट पिटीशन वापस लेने की इजाज़त मांगी तो कोर्ट ने वापस लेने की इजाज़त दे दी, लेकिन ₹500 का जुर्माना लगाया, और कहा कि इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के बैंक अकाउंट में जमा किया जाए।
उस आदेश में रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया था कि वह याचिकाकर्ता की कोई भी नई याचिका इस खर्च के मिलने के बाद ही स्वीकार करे।
दिलचस्प बात यह है कि एक हफ़्ते बाद 10 नवंबर, 2025 को वही बेंच एक और रिट पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसे फिर से वही मुद्दा उठाना पड़ा।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने एक कम्युनिकेशन की एक साफ़ कॉपी अटैच की थी। इसलिए कोर्ट ने पिटीशनर से इस बीच एक 'क्लियर कॉपी' फाइल करने को कहा।
हालांकि, रजिस्ट्रार जनरल को दिए अपने पिछले निर्देश का ज़िक्र करते हुए हाईकोर्ट ने कहा:
"यह बहुत अजीब है कि रजिस्ट्री ने कोई कमी नहीं बताई, जबकि ऐसी बार-बार होने वाली घटनाओं पर ध्यान देते हुए इस कोर्ट ने पहले ही 03.11.2025 को मीनाक्षी भेटवाल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया और अन्य, 2025:AHC:192745 में एक आदेश पास किया, जिसके तहत रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले को देखने का निर्देश दिया गया।"