सिम कार्ड के स्थान बदलने का मतलब यह नहीं है कि सिम कार्ड के साथ-साथ आरोपी भी इधर उधर घूम रहा है : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-12-11 13:27 GMT

जाँच एजेंसियों को धक्का पहुँचाने वाले इस फ़ैसले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि सिम कार्ड के स्थान बदलने का मतलब यह नहीं है कि इसके आठ आरोपी भी अपना स्थान बदल रहा है इस आधार पर यह निष्कर्ष निकालना पर्याप्त नहीं होगा।

न्यायमूर्ति एबी चौधरी और न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की पीठ ने कहा, “अभियोजन पक्ष यह दावा नहीं कर सकता कि सिम कार्ड अगर एक जगह से दूसरी जगह चला जाता है तो इसका अर्थ यह हुआ कि इस सिम कार्ड का प्रयोग करने वाला कथित व्यक्ति भी अपना स्थान बदल रहा है और इस बारे में कॉल डिटेल पेश किए गए हैं…

अभियोजन पक्ष इस अदालत को यह बाने की कोशिश कर रहा है कि अगर कॉल के विवरणों से यह पता चल रहा की सिम कॉर्ड का प्रयोग विभिन्न स्थानों से हुआ है तो इसका अर्थ यह हुआ कि आरोपी भी सिम कार्ड के साथ ही घूम रहा है। हमारा मानना है कि यह दलील ग़लत और मिथ्या विचारों पर आधारित है।”

कोर्ट मार्च 2012 में दिए गए एक फ़ैसले को इस अपील में चुनौती दी गई है। फ़ैसले में पटियाला के अतिरिक्त सत्र जज ने चार लोगों को आईपीसी की धारा 120B, 313, 365 our 344 के तहत दोषी पाया था।

मामला हरप्रीत कौर नामक महिला की हत्या से जुड़ा हुआ है जो दोषी ठहराए गए लोगों में से एक की बेटी थी। उसे एक ऐसी दवा दी गई थी ताकि उसका गर्भपात हो जाए।

अभियोजन पक्ष आरोपियों के कॉल डिटेल्ज़ का पता लगाकर यह स्थापित करना चाहता था कि उसको मारने के लिए षड्यंत्र रचा गया था। उन्होंने 18 मार्च 2000 को जब हरप्रीत को चंडीगढ़ के उसके घर से अगवा किया गया था, से लेकर  19 मार्च 2000 तक जब उसका गर्भपात करा दिया गया, और फिर 20 अप्रैल 2000 को उसकी मौत तक के कॉल डिटेल्ज़ इकट्ठा किए।

हालाँकि कोर्ट ने कहा की कॉल के विवरणों पर जो भरोसा जताया गया है, वह तीन कारणों से अभियोजन के किसी काम का नहीं है। पहला, जाँच अधिकारी ने कोई मोबाइल फोन या सिम कार्ड ज़ब्त नहीं किया जिसका कॉल विवरण पेश किया गया है। इस बात का कोई कारण नहीं बताया गया है कि ऐसा क्यों नहीं किया गया।

दूसरा, अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया है कि आरोपी ने जिस कथित मोबाइल फ़ोन का प्रयोग किया वह उसके नाम पर पंजीकृत है, या उसका है या वह उससे बरामद हुआ है।

“अभियोजन पक्ष के एक भी गवाह से पूछताछ नहीं की गई ना ही इस तरह का कोई सबूत पेश किया गया है कि किसी ने मोबाइल फोन में सिम कार्ड देखा है जिसका प्रयोग कथित रूप से आरोपियों ने किया है।”

कोर्ट ने सके बाद अपील मंज़ूर कर ली और आरोपियों को बरी कर दिया।


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