दिल्ली में प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट ने कानून मंत्रालय से पूछा, कलर कोड स्टीकर योजना का क्या हुआ ?

Update: 2018-11-28 11:14 GMT

दिल्ली और NCR में प्रदूषण को लेकर चल रही सुनवाई में जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय से पूछा है कि प्रदूषित वाहनों की पहचान के लिए बनी कलर कोड स्टीकर योजना पर क्या कदम उठाए गए हैं ? पीठ ने ASG ए एस नाडकर्णी से गुरुवार को इसकी जानकारी देने के लिए कहा है।

दरअसल बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान अमिक्स क्यूरी अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को उस योजना को हरी झंडी दी थी जिसमें केंद्र ने कहा था कि पेट्रोल-सीएनजी वाहनों के लिए हल्का नीला स्टिकर प्रयुक्त किया जाएगा और डीजल गाड़ियों में नारंगी स्टिकर लगाए जाएंगे ताकि उनकी पहचान हो सके। इस मुद्दे पर सड़क परिवहन मंत्रालय ने सकारात्मक तरीके से  नियमों का पालन किया और योजना को कानून मंत्रालय को भेजा मगर मंत्रालय इस पर बैठा हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर कानून मंत्रालय ने समय पर कदम उठाया होता तो दिल्ली में गंभीर श्रेणी के प्रदूषण को रोका जा सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में गंभीर श्रेणी प्रदूषण के कारण गरीब प्रभावित होते हैं और दैनिक मजदूर अपनी आजीविका खो रहे हैं।

इस दौरान ASG ए एस नाडकर्णी ने कहा कि  कानून मंत्रालय से राय नहीं मिलने पर भी सड़क परिवहन मंत्रालय सभी राज्यों को अधिसूचना जारी कर सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून मंत्रालय से बात कर कल जवाब दिया जाए।

दरअसल  दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर केन्‍द्र सरकार की योजना पर अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी थी। केंद्र ने कहा था कि वाहनों पर लगने वाले यह स्टीकर ‘सेल्फ डेस्ट्रेकेटिव’ होंगे और एक निश्चित अवधि के बाद खुद ही खत्म हो जाएंगे। इन कलर कोड वाले स्टीकर से 15 साल पुरानी पेट्रोल की और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों की पहचान ज़्यादा आसानी से हो सकेगी।

Similar News