नेशलन हेराल्ड बिल्डिंग की लीज पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, तब तक खाली नहीं होगा हेराल्ड हाउस

Update: 2018-11-24 11:33 GMT

दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग की लीज़ खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

गुरुवार को जस्टिस सुनील गौड़ की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है। यानी बिल्डिंग अभी खाली नहीं कराई जाएगी।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि AJL की तरफ़ से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। 2008 से लेकर 2017 तक बिल्डिंग में किसी तरह का कोई प्रकाशन नहीं हो रहा है और बिल्डिग का इस्तेमाल दूसरे काम के लिए हो रहा था। इन्होंने एक वेब साप्ताहिक शुरू किया है जो कि नोएडा से चल रहा है और  AJL ने ये कंपनी दूसरी कंपनी यंग इंडया को बेंच दी है। SG ने कहा कि आयकर विभाग के नोटिस के मुताबिक 2008 में पूरे अख़बार को बंद कर दिया था और सभी काम करने वालों को वीआरएस दे दिया गया था। चेयरमैन को निरीक्षण करने नोटिस भेजा गया था और सितंबर 2016 में निरीक्षण भी किया गया था।इस दौरान टीम को प्रिंटिंग का कोई सामान नहीं मिला था। पहला तल पासपोर्ट ऑफिस को दिया गया है जबकि दूसरे और तीसरे तल किसी और को और चौथा कल  AJL के पास। हमें कहा गया था कि प्रिंटिंग शुरू की जाएगी पर 2008 से 2016 तक कोई प्रिंटिंग नहीं की गई।

SG ने कहा कि  ये सब एक बहुमूल्य प्रापर्टी पर कब्ज़ा करने के लिए कर रहे हैं। उनको इतनी बड़ी संपत्ति की ज़रूरत ही नहीं है। एक वेब सीरीज़ है और उसके लिए  बस लैपटाप की ज़रूरत है। इसलिए  पूरी जांच के बाद लीज़ खत्म की गई।

वहीं AJL की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि 10 जून 2016 को पहला नोटिस भेजा गया था और इस नोटिस में तो प्रिंटिंग प्रेस के नहीं चलने की बात ही नहीं थी। ये कारण बताओ नोटिस था  और नोटिस के बाद 1.5 साल तक कुछ नहीं कहा गया। 5 अप्रैल 18 को दूसरा नोटिस दिया गया और दूसरे नोटिस में भी प्रिंटिंग प्रेस की कोई बात नहीं कही गई।  18 जून 18 को भेजे गए तीसरे नोटिस में प्रिंटिंग प्रेस की बात कही गई।

हम नवंबर 2016 से प्रेस चला रहे हैं। तकनीक इतने सालों में बदल गई है और लीज़ में कहीं नहीं कहा गया कि परिसर से ही छपाई होनी चाहिए।

दूसरे अखबारों की प्रेस भी नोएडा में है।

उन्होंने दलील दी  लीज़ में कोई नियम नहीं है कि शेयर किसी और को नहीं दे सकते और ये संपत्ति बेची नहीं गई बल्कि शेयर ट्रांसफ़र किए हैं।

15 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को राहत देते हुए 22 नवंबर तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।

दरअसल केंद्र सरकार ने AJL को 15 नवंबर तक  ही परिसर खाली करने का नोटिस दिया था।

नेशनल हेराल्ड  ने शहरी विकास मंत्रालय के 30 अक्टूबर के नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस नोटिस में उसके 56 साल पुराने लीज़ को खत्म करते हुए आईटीओ के प्रेस एनक्लेव स्थित हेराल्ड बिल्डिंग को खाली करने को कहा गया है।

 सुनवाई के दौरान AJL के वकील ने दावा किया कि केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बिल्डिंग को खाली कराना शुरू कर दिया है। हालांकि सरकार ने इन दावों को झूठा बताया और कहा कि किसी भी अधिकारी ने हेराल्ड हाउस के परिसर में प्रवेश नहीं किया है।इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की तारीख 22 नवंबर तय करते हुए तब तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

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