सड़क दुर्घटना में शामिल वाहन का बीमा न हो तो वाहन को बेचकर पीड़ित को मुआवजा दिया जाए : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सड़क दुर्घटना में शामिल वाहन का अगर बीमा न हो तो उस वाहन को बेचकर पीड़ित को मुआवजा दिया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने देश के सभी राज्यों को 12 हफ्ते में मोटर वाहन अधिनियम में जरूरी बदलाव इस प्रावधान को शामिल करने का निर्देश दिया है। हालांकि दिल्ली में यह प्रावधान पहले से ही है।
पीठ ने कहा कि अगर किसी सड़क दुर्घटना में शामिल वाहन का बीमा न हो तो उस वाहन की नीलामी की जाए और नीलामी से मिली रकम को मोटर वाहन दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल(MACT) में जमा कराया जाए। फिर यह रकम सड़क दुर्घटना पीड़ित को मुआवजे के तौर पर दी जाए। दरअसल पीठ ने पाया कि उन दुर्घटनाओं में पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिल पाता जिनमें दुर्घटना में शामिल वाहन का बीमा न हो।
पीठ ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के 2010 के फैसले को दोहराया जिसमें कहा गया था कि दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति मुआवजे के हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह निर्देश पंजाब की एक महिला उषा देवी की याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता की वकील राधिका गौतम ने पीठ को बताया कि इस मामले में कुछ राज्यों ने ही हलफनामा दाखिल कर बताया है कि वो कानून में बदलाव करने का कदम उठा चुके हैं। वहीं पहले सुनवाई में अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि ये कदम मोटर वाहन अधिनियम में बदलाव कर ही उठाया जा सकता है।
वकील गौतम के मुताबिक 21 जनवरी, 2015 को पंजाब के बरनाला में हुई एक सड़क दुर्घटना में उषा देवी के पति की मौत हो गई थी जबकि सात साल का बेटा घायल हो गया था।
मामला MACT पहुंचा तो पता चला कि उस वाहन का बीमा नहीं था और न ही उसका मालिक की मुआवजा देने की हैसियत में था। पीड़ित पक्ष ने राज्य सरकार को प्रतिवादी बनाने के लिए याचिका दाखिल करते हुए कहा कि सभी वाहनों के लिए बीमा जरूरी है और राज्य सरकार का यह सुनिश्चित करने का दायित्व है सभी वाहनों का बीमा हो। ऐसे में मुआवजा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार और बीमा कंपनी है।निचली अदालत से लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया जिसके बाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील राधिका गौतम में सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मोटर वाहन अधिनियम के नियम-6 का हवाला दिया। इसके तहत अगर दुर्घटना में शामिल वाहन का बीमा न हो तो उस वाहन की नीलामी कर पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।