मध्यस्थता के फैसले से प्रभावित होने की स्थिति में मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल तीसरे पक्ष को अपील का अधिकार : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]
एक अहम फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है की अगर तीसरे पक्ष पर मध्यस्थता के किसी फैसले से प्रभाव पड़ सकता है तो उसे मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत अपील करने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति आरडी धानुका ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत के तहत 13 याचिकाओं पर सुनवाई की। इन याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने एकमात्र मध्यस्थ के 27 दिसंबर 2016 के आदेश और हाईकोर्ट के 17 नवम्बर 2017 के आदेश के खिलाफ अपील की विशेष अनुमति की मांग की थी। मध्यस्थता की यह प्रक्रिया एक्सेल मेटल प्रोसेसर्स प्राइवेट लिमिटेड (प्रतिवादी नंबर 1) और शक्ति इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (प्रतिवादी नंबर 2) के बीच चल रही है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इन आदेशों से उनके हितों के खिलाफ दुर्भावना पैदा हो रही है।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ताओं ने विन फेथ ट्रेडिंग लिमिटेड और मे. ह्युंडाई कारपोरेशन से 46एचआर क्वाइल आयात किया था। इन लोगों ने कहा कि इस खरीद को साबित करने के लिए इनके पास बिल ऑफ़ एंट्री, मिल जांच प्रमाणपत्र, जांच प्रमाणपत्र सहित सारे दस्तावेज हैं।
एक्सेल के निदेशक मोहम्मद इकबाल खान और इमरान खान ने 11 दिसंबर 2014 को एक लिखित बयान दिया जिसमें कहा गया था कि एक्सेल मेटल प्रोसेसर्स इस बात को दुहराता है कि वे तलोजा स्थित गोदाम के मालिक हैं और प्रतिवादी नंबर 3 को इस गोदाम में बिना किसी किराए के अपना व्यवसाय करने को कहा था।
8 दिसंबर 2016 को याचिकाकर्ताओं ने अरीशा मेटल प्रिसीजन्स साथ समझौता किया जिसमें याचिकाकर्ताओं ने उक्त एचआर क्वाइल प्रतिवादी नंबर 3 को भंडारण, संचालन और रिक्वाईलिंग के लिए जॉब वर्क के आधार पर दे दिया।
दिसंबर 2016 और जनवरी 2017 याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी नंबर 3 को क्वाइल भेजा। प्रतिवादी नंबर 3 ने प्राप्ति के माध्यम से 9 जनवरी 2017 को इसकी तस्दीक की।
ये सारी बातें इस क्वाइल पर प्रतिवादी नंबर 3 ने पेंट से लिखा। पर जब याचिकाकर्ता 15 जनवरी 2017 को क्वाइल डिलीवरी लेने गोदाम पहुंचे तो उन्हें पता चला कि कुछ क्वाइल पर शक्ति इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (एसआईपीएल) का नाम लिखा है।
उस समय प्रतिवादी नंबर 1 और 3 ने याचिकाकर्ता को बताया कि प्रतिवादी नंबर 1 और 2 के बीच मध्यस्थता का मामला चल रहा है और याचिकाकर्ता का क्वाइल भी 5092. 860 एमटी एचआर क्वाइल में शामिल था जिस पर प्रतिवादी नंबर 2 ने कथित रूप से दावा किया था और जिसको अटैच कर दिया गया था याचिकाकर्ता के आग्रह बावजूद उक्त क्वाइल प्रतिवादी ने वापस नहीं किया।
फैसला
कोर्ट द्वारा नियुक्त रिसीवर ने कहा कि 255 में से 237 क्वाइल 13 याचिकाकर्ताओं के हैं।
याचिकाकर्ता के वकील डॉ. बीरेंद्र सराफ ने कहा कि पंचाट के किसी फैसले का प्रभाव अगर किसी तीसरे पक्ष पर पड़ता है, तो वह तीसरा पक्ष हमेशा ही कोर्ट की शरण में फैसले में तबदीली की मांग के लिए जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि यह निर्विवादित सत्य है कि वह क्वाइल याचिकाकर्ताओं का है और प्रतिवादी नंबर 1 और 3 सहायक कंपनियां हैं जिन्होंने रुपया उधार देने को बिक्री कारोबार के रूप में पेश करने की कोशिश की।
न्यायमूर्ति धानुका ने निष्कर्षतः कहा कि याचिककर्ता के प्रति दुर्भावना का बरताव हो रहा है और उन्होंने धारा 37 के तहत उसकी याचिका स्वीकार कर ली और मध्यस्थ के फैसले को रद्द कर दिया |