दिवालिया क़ानून के तहत रोक आईटीएटी आदेशों पर भी लागू होगा : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-08-15 13:58 GMT

“इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी), 2016 की धारा 238 के अनुसार, यह स्पष्ट है कि आयकर अधिनियम सहित किसी भी अन्य तरह के क़ानून में अगर कोई कमी है तो यह कोड उसको नजरअंदाज करेगा।”

दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईबीसी आयकर अधिनियम सहित अन्य किसी भी क़ानून में अगर कोई कमी है तो वह उसे नजरअंदाज (override) कर सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी अधिनियम के तहत रोक आयकर अपीली अधिकरण के आदेश पर भी लागू होगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने पीआर आयकर आयुक्त-6, नई दिल्ली बनाम मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लिमिटेड मामले में अपने फैसले में कहा कि आईबीसी की धारा 14 के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) ने रोक की जिस अवधि की घोषणा की है वह आयकर अपीली अधिकरण द्वारा किसी करदाता के कर दायित्व पर भी लागू होगा।

हाईकोर्ट ने मे. इन्नोवेटिव इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम आईसीआईसीआई बैंक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया जिसमें कहा गया था कि इस कोड की धारा 238 उन सभी कानूनों पर लागू होगा जो उस समय प्रचलन में होगा भले ही वह कितना ही असंगत हो।

न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कहा, “जहां तक इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 की धारा 238 की बात है, यह स्पष्ट है कि आयकर अधिनियम सहित किसी भी अन्य तरह के क़ानून में अगर कोई कमी है तो यह कोड उसको नजरअंदाज करेगा।”

पीठ ने देना बैंक बनाम भीखाभाई प्रभुदास पारेख एवं कंपनी मामले में आए निर्णय का सन्दर्भ दिया जिसमें कहा गया कि आयकर बकाया, मुख्य ऋण होने की वजह से सुरक्षित ऋणदाता, जो कि निजी व्यक्ति होते हैं, के ऊपर नहीं जा सकता।

इसी पीठ ने मंगलवार को एक अन्य फैसले में कहा कि आईबीसी की धारा 14 जिसमें कि सीमित अवधि के लिए रोक का प्रावधान है, इंसोल्वेंसी याचिका की स्वीकृति दिए जाने पर, यह निगमित ऋणदाता के निजी गारंटर पर लागू नहीं होगा।


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