कठुआ रेप मामला : गवाह तालिब हुसैन को अवैध हिरासत में यातना देने के आरोप लेकर चचेरी बहन पहुंची सुप्रीम कोर्ट, बुधवार को सुनवाई
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या की घटना में महत्वपूर्ण गवाह तालिब हुसैन के अवैध हिरासत में होने का आरोप लगाते हुए उनकी चचेरी बहन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तुरंत रिहाई की मांग की है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील सुनील फर्नांडीज द्वारा किए गए उल्लेख पर बुधवार को सुनवाई के लिए सहमति जताई। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही इस मामले का ट्रायल पंजाब के पठानकोट में ट्रांसफर कर दिया था।
याचिकाकर्ता मुमताज अहमद खान ने हैबियस कॉरपस याचिका में चचेरे भाई तालिब हुसैन की जम्मू-कश्मीर सरकार की हिरासत से तत्काल रिहाई के लिए दिशा निर्देंश मांगे हैं।
उन्होंने कहा कि तालिब हुसैन जिन्होंने कठुआ से नाबालिग लड़की से दुर्भाग्यपूर्ण बलात्कार और हत्या को उजागर करने में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में एक अहम भूमिका निभाई है, को बलात्कार के झूठे आरोपों में फंसाया गया है और 28 जुलाई से हिरासत में लिया गया है।
यह आरोप लगाया गया है कि ऑल ट्राइबल कम्युनिटीज काउंसिल के अध्यक्ष तालिब हुसैन को थर्ड डिग्री उत्पीड़न के अधीन किया गया है जिसकी वजह से उन्हें खतरनाक चोटें आई हैं।
जबकि इस अदालत ने कहा है कि पुलिस हिरासत / लॉक-अप में हिंसा, यातना संविधान के अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के साथ-साथ बुनियादी मानवाधिकारों और कानून के शासन पर हमला है।
उन्होंने कहा है कि उच्चतम न्यायालय को स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए अन्यथा यह संभव है कि तालिब हुसैन को जान से हाथ धोना पड़े या ऐसी लंबी अवधि और स्थायी चोटें मिले ट जो कानूनी रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन के अधिकार को कम कर देंगी।
याचिका में प्रस्तुत किया गया है कि यह तालिब हुसैन ही था जिसने मृतक के परिवार को न्याय सुनिश्चित करने और इस मामले में उचित जांच सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। इस मामले ने सांप्रदायिक रंग भी ले लिया था इसलिए तालिब हुसैन को कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।
याचिका में तालिब हुसैन को रिहा कराने के साथ-साथ यातना देने वालों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।