केंद्र सरकार नहीं करेगी सोशल मीडिया की निगरानी, AG ने SC में कहा, सरकार सोशल मीडिया हब का प्रस्ताव वापस ले रही है

Update: 2018-08-03 10:32 GMT

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने का प्रस्ताव वापस ले रही है और अब वो सोशल मीडिया की निगरानी नही करेगी।उन्होंने कहा कि सरकार सोशल मीडिया हब नीति की समीक्षा करेगी।

 मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़  की पीठ ने शुक्रवार को इन बयानों के बाद सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने के खिलाफ दाखिल याचिका का निस्तारण कर सुनवाई बंद कर दी।

दरअसल तृणमूल कांग्रेस की  महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था कि  कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र ये कदम उठा रहा है। इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डेटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी। ये निजता के अधिकार का  उल्लंघन है। याचिका में कहा गया कि इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी। इसमें जिला स्तर तक डेटा पर सरकार निगरानी कर सकेगी।

 गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसल्टेंट इंडिया लि. (बीईसीआइएल) ने एक टेंडर जारी किया था। इसमें एक सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गई हैं। सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं को एकत्र करेगी। अनुबंध आधार पर जिला स्तर पर काम करने वाले मीडिया कर्मियों के जरिए सरकार सोशल मीडिया की सूचनाओं को एकत्र करके देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है।

13 जुलाई को याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था।  सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र की मंशा पर सवाल भी उठाए थे। कोर्ट ने यहां तक कह दिया था कि क्या आप लोगों के व्हाट्सअप मैसेज टेप करना चाहते हैं ? क्या ये एक तरह से  ‘ सर्विलांस स्टेट’ नहीं होगा।

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