पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाली महिला और उसके प्रेमी की मौत की सजा को सही बताया [निर्णय पढ़ें]
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को हरियाणा की एक महिला और उसके प्रेमी की मौत की सजा की पुष्टि की। इस महिला को अपने प्रेमी के साथ मिलकर बच्चे सहित परिवार के सात लोगों को सितंबर 2009 में जहर देकर और गला दबाकर हत्या करने का दोषी पाया गया है।
न्यायमूर्ति एबी चौधरी और न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह ने कहा, “इस मामले ने समुदाय दियाऔर इस अदालत की आम भावना को झकझोड़ दिया और इस मामले में मौत की सजा की जरूरत है और इनके लिए एकमात्र यही सजा है। ये हत्याएं अफसोसजनक हैं। बहुत ही निर्मम तरीके से ये हत्याएं की गईं।”
उच्च न्यायालय को सत्र अदालत ने सजा की पुष्टि के लिए इस मामले को भेजा था जो उसने सोनम और उसके प्रेमी नवीन कुमार को सुनाई है। इन दोनों को सोनम के माँ-बाप, उसके 16 साल के भाई, उसकी दादी और तीन चचेरे भाई-बहनों जिनमें सभी 11 वर्ष से नीचे थे, की हत्या का दोषी पाया गया है।
पुलिस की जांच से यह पता चला था कि इन दोनों को यह विश्वास था कि सोनम के परिवार वाले उनके बीच प्रेम संबंधों के खिलाफ हैं। इन लोगों को रोहतक के क़बूलपुर गांव में मारने की योजना बनाने के बाद इन दोनों ने सभी लोगों को नींद की गोलियां देने के बाद उनका गला दबा दिया।
कोर्ट ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि वारदात की रात सोनम और नवीन के बीच कई बार बात हुई क्योंकि जांच एजेंसी इस बारे में साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B(4) के तहत कोई भी प्रमाण जुटाने में असमर्थ रहा।
कोर्ट ने इन जघन्य हत्याओं के लिए इन दोनों की मौत की सजा की पुष्टि की और इस बारे में उत्तर प्रदेश राज्य बनाम सत्तन उर्फ सत्येन्द्र एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इस मामले में एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या की गई थी।
कोर्ट ने इस मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जो अपराध किया गया है वह अफसोसजनक है। कोर्ट ने कहा, “आरोपी सोनम उर्फ सोनू को उसके माँ-बाप ने जन्म दिया था और पालपोस कर बड़ा किया। एक महिला प्रकृति से दयालु होती है। उसके माँ-बाप ने बचपन से ही उसको सारी सुविधाएं दीं। उस पर उसके परिवार वालों को भरोसा था। पर आरोपी सोनम ने अपने माँ-बाप पर कोई दया नहीं दिखाई, कम उम्र के अपने सगे और चचेरे भाइयों को, जिन्होंने अभी दुनिया देखी भी नहीं थी, नहीं बख्शा”।