सीआईसी ने कहा, कोहिनूर जैसी वस्तुएं देश कब वापस आ रही हैं इस बारे में लोगों की जिज्ञासा जायज है; पीएमओ, एमईए से कहा, वे इस के लिए क्या कदम उठा रहे हैं बताएं [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-06-06 07:35 GMT

केंद्रीय सूचना आयोग ने (सीआईसी) ने कहा है कि कोहिनूर हीरा, शाहजहां का शराब का प्याला आदि प्राचीन कलात्मक वस्तुएं भारत कब वापस आ  रही हैं इस बारे में लोगों की जिज्ञासा जायज है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वे ऐतिहासिक महत्त्व की इन वस्तुओं को वापस लाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं इस बात की जानकारी साझा करें।

सीआईसी एम श्रीधर आचार्युलु ने पीएमओ और विदेश मंत्रालय के मुख्य सूचना अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे  इस बारे में आरटीआई आवेदनकर्ता बीकेएसआर आयंगर को बताएं। सीआईसी ने आयंगर के आवेदन को गलती से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजने की भी आलोचना की जबकि यह सर्वविदित है कि यह मामला उसके अधीन नहीं है।

सीआईसी ने सीपीआईओ, पीएमओ से पूछा है कि यह आवेदन एएसआई  के पास क्यों भेजा गया। उसने सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय से पूछा है कि क्यों न सूचना नहीं देने और आवेदन गलत जगह पर भेज देने के लिए उन सब पर अधिकतम जुर्माना लगाया जाए।

सीआईसी ने एएसआई  से भी पूछा है कि वह निर्धारित पांच दिन में आवेदन को भेजने के बदले इसमें 10 दिन लगाने के लिए क्यों  न उस पर अधिकतम जुर्माना लगाया जाए।

आवेदनकर्ता ने कोहिनूर हीरा, सुल्तानगंज बुद्ध,  नास्सक हीरा, टीपू सुल्तान की तलवार, महाराजा रणजीत सिंह का सोने का सिंहासन, शाहजहां का शराब का प्याला, अमरावती की रेलिंग, बुद्धपाद , वाग्देवी की मूर्ती, टीपू सुल्तान  का यांत्रिक बाघ और अन्य महत्त्वपूर्ण कलात्मक वस्तुओं को भारत लाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है इस बारे में जानकारी माँगी थी।

पीएमओ के सीपीआईओ ने इस आवेदन को 7  सितम्बर 2017 को एएसआई भेज दिया और संस्कृति मंत्रालय के सीपीआईओ ने भी इस अपील को एएसआई  को भेज दिया।

एएसआई  के सीपीआईओ ने जवाब दिया की वह सिर्फ गैर कानूनी ढंग से देश के बाहर ले जाई गई प्राचीन कलात्मक वस्तुओं की वापसी के मामले ही देखता है।  अब तक विभिन्न देशों से 2014 से 2017 के बीच सिर्फ 25 वस्तुएं ही प्राप्त हुई हैं।

कोई सूचना नहीं मिलने पर आयंगर ने आयोग के समक्ष अपील की।

आयोग ने बताया कि अक्टूबर 2015  में जर्मनी के एक संग्रहालय से दुर्गा की एक प्राचीन मूर्ती देश को लौटाया गया।

2015  में कनाडा के प्रधान मंत्री ने 900  वर्ष पुराना “पैरट लेडी” वापस किया और ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री ने 2014  में एक हिंदू देवता की प्रतिमा वापस की।

आयोग ने कहा कि यह पीएमओ और संस्कृति मंत्रालय का कर्तव्य है कि  वे अपीलकर्ता को बताएं और उसके आवेदन को एएसआई भेजना कर्तव्य पालन में कोताही बरतना है।

आयोग ने पूछा की जब इंग्लैंड ने 1977  में संधि पर हस्ताक्षर किया तो भारत ने इस यूनेस्को संधि  के अनुच्छेद 15 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग क्यों नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट से किये वादे के मुताबिक़ भारत सरकार ने और विदेश मंत्रालय ने क्या प्रयास किए हैं ? इस बारे में प्रधान मंत्री ने जो कथित बैठक की थी क्या उसके कोई सकारात्मक परिणाम निकले हैं ? चूंकि एएसआई इस बारे में कोई जवाब नहीं देगा, लोग इस बारे में कार्रवाई करने और सूचना के लिए प्रधान मंत्री की ओर देखेंगे।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 30  जून को होगी।


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