शिमला जल संकट: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा, जल संरक्षण पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं, जिंगल बजाएं [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-06-02 13:34 GMT

शिमला जल संकट के विभिन्न मुद्दों को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक और निर्देश जारी किया है जो लोगों को पानी मिलने में हो रही विभिन्न तरह की असुविधाओं को लेकर है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की पीठ ने निर्देश दिया कि एक व्हाट्सएप  ग्रुप बनाया जाए ताकि नगरनिगम के अधिकारियों के साथ जल आपूर्ति को लेकर प्रभावी संयोजन किया जा सके। कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया की नगर निगम जल संरक्षण को लेकर जिंगल बजाए ताकि लोगों को मुद्दे को लेकर जागरूक बनाया जा सके।

इसके अलावा, कोर्ट ने मीडिया से कहा की वह इस मुद्दे की रिपोर्टिंग में संयम बरते ताकि ऐसा न हो कि  पर्यटक यहां न आएं। कोर्ट ने कहा, “शिमला दुनिया भर में ‘पहाड़ों की मलिका’ के रूप में प्रसिद्ध है दुनिया भर के पर्यटक आते हैं और उन्हें इस मामले को इतना सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए की वे शिमला न आएं।”

कोर्ट के निर्देश :

व्हाट्सएप  ग्रुप के बारे में :





  • एक व्हाट्सएप  ग्रुप अविलंब बनाया जाए और इसकी निगरानी शिमला नगर निगम के सहायक आयुक्त करें. इस ग्रुप में नगर निगम के इंजीनियर, और पानी की आपूर्ति से जुड़े सभी जूनियर इंजीनियर शामिल होंगे. यह ग्रुप हर जोन में  जलापूर्ति के बारे में सूचनाओं को साझा करेगा। ग्रुप में इस मुद्दे के बारे में हर घंटे अपडेट होना चाहिए।



  • जूनियर इंजीनियर उनके अंदर काम करने वाले सभी  कीमैन द्वारा पानी के बहाव की जानकारी पांच मिनट के अंदर साझा  की जाएगी. जल नियंत्रण वाल्व की विस्तृत जानकारी हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव पीपी  रत्ना को 24 घंटे के भीतर दी जानी चाहिए।


  • सभी कीमेन  बताया जाए की अगर व्हाट्सएप नहीं, तो अपने मोबाइल से वे ये जानकारियां संबंधित  जूनियर इंजीनियर को उपलब्ध कराएं. व्हाट्सएप पर डाटा को अपडेट करने के लिए जूनियर इंजीनियर जिम्मेदार होंगे और इसमें किसी भी तरह की कोताही बरतने का मतलब होगा कोर्ट के आदेश की अवमानना।




कीमेन की निगरानी; की को खोलने और बंद करने की प्रक्रिया का वीडियो रिकॉर्डिंग





  • सभी कीमेन की निगरानी  होगी और उनके साथ कम से कम दो पुलिसवाले होंगे और की को खोलने और बंद करने की प्रक्रिया की वीडिओ रिकॉर्डिंग करेंगे।  ऐसा स्मार्ट फोन माध्यम से आसानी से की जा सकती है क्योंकि कीमेन की संख्या सिर्फ 62 ही है।




जल के ओवरफ्लो होने पर तत्काल कार्रवाई





  • जल के ओवरफ्लो की घटना व्हाट्सएप पर तत्काल साझा की जानी चाहिए और  सूचना मिलने के 30 मिनट के भीतर इसको ठीक किया जाना चाहिए। जिस व्यक्ति की वजह से पानी का ओवरफ्लो हुआ है, निगम चाहे तो उसका कनेक्शन काट सकता है।




जिंगल बनाना





  • निगम के अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण भी पानी बचाने के बारे में जिंगल बनाएगा ताकि लोगों को इसके बारे में बताया जा सके और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों को इस बारे में बता सकें और पीएलवी नगर निगम के अधिकारियों की मदद कर सकें।




निगम के निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए





  • संबंधित  वार्ड के लोगों को इस बारे में बताने  और जल वितरण की प्रक्रिया में निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।  अगर इनमें से कोई भी निर्वाचित प्रतिनिधि आम लोगों के हितों के खिलाफ काम करता पाया गया तो इस बारे में उपयुक्त आदेश के लिए कोर्ट के पास जाना चाहिए क्योंकि उनके इस कार्य को न्याय में बाधा पहुंचाना माना जाएगा। शिमला का उपायुक्त क़ानून के तहत हर तरह की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं।




घरेलू कनेक्शन के दुरुपयोग पर कार्रवाई





  • अगर किसी घरेलू कनेक्शन के वाणिज्यिक उद्देश्य या गैर कानूनी उद्देश्य के लिए दुरुपयोग की बात सामने आती है तो उसका पानी का कनेक्शन अविलंब काट दिया जाए और निगम उसके खिलाफ कार्रवाई करे।




जल आपूर्ति के समय के बारे में बताया जाएगा





  • राज्य द्वारा गठित समिति इस बात का निर्णय करेगी की लोग अपने क्षेत्र में पानी की उम्मीद लगभग किस समय करें।




किसी भी व्यक्ति या वीआईपी के लिए वाटर टैंकर नहीं





  • ऐसी रिपोर्ट है की कोर्ट के मना करने के आदेश के बावजूद शिमला नगर निगम ख़ास लोगों को टैंकर से पानी उपलब्ध  करा रहा है। हम इस पर आपत्ति करते हैं और निर्देश देते हैं की राज्यपाल और मुख्यमंत्री के कार्यालय/आवास को ही टैंकरों  से पानी उपलब्ध कराया जाए।



  • हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि  किसी व्यक्ति के पानी टंकी को टैंकर से शिमला नगर निगम नहीं भरेगा. टैंकरों से बांटे जाने वाले पानी  के बारे में रत्ना जानकारी रखेंगे।


निजी व्यक्तियों द्वारा पानी की ड्रीलिंग





  • कोर्ट के संज्ञान में यह लाया गया है कि निजी लोग जमीन से पानी निकाल रहे हैं।  हम शिमला के उपायुक्त को निर्देश देते हैं कि इस पानी का प्रयोग पीने के अलावा किसी अन्य कार्य के लिए किया जाए इस संभावना की तलाश करें. निजी व्यक्ति इस तरह की गतिविधि को अंजाम  दे सकता है या नहीं इस बारे में कोर्ट अगली सुनवाई में निर्णय करेगा।




धरना नहीं





  • हम राज्य प्रशासन को निर्देश देते हैं कि वह यह सुनिश्चित करे कि  गड़बड़ी फैलाने वाले नगर निगम द्वारा जल के वितरण में बाधा नहीं उत्पन्न कर पाएं. हम यह भी आदेश देते हैं की इस बारे में किसी भी तरह के धरने की इजाजत नहीं होगी ताकि लोगों को शांतिपूर्ण ढंग से पानी का वितरण  किया जा सके।




जिन होटलों पर जल की राशि बकाया है उनका कनेक्शन काटने के बारे में





  • ऐसे होटल जिनपर पानी की राशि बकाया है, उनका पानी कनेक्शन अबिलम्ब काटा जाएगा और निगम  इस बारे में कोई कोताही नहीं बरतेगा.




पानी के ओवरफ्लो होने का मामला





  • वकील जेएस  भोगल ने बताया कि  सुबह में जब उनके और अन्य लोगों के घरों में एक मग तक पानी नहीं था बगल के घर में पानी ओवरफ्लो कर रहा था क्योंकि यह घर शिमला नगर निगम के एक कर्मचारी का था।  नोडल अफसर को इस बारे में बताये जाने के बावजूद शिकायत दूर करने की कोई कोशिश नहीं की गई। निगम के स्थाई वकील नरेश कुमार गुप्ता ने इस क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और उन लोगों के बारे में भी जिनके टैंक पानी से ओवरफ्लो हो रहे थे।  ऐसे लोगों के पानी के कनेक्शन अविलंब प्रभाव के काट दिए जाएं और कोर्ट की अनुमति के बिना इसे बहाल नहीं किया जाए।




पानी वितरण कब होगा यह नगर निगम तय करेगा





  • कितना पानी कब वितरित होगा यह निर्णय करने का पूरा जिम्मा उस समिति का है जिसे राज्य/नगर निगम आयुक्त, शिमला ने गठित किया है।




इस मामले की अगली सुनवाई अब 11  जून को होगी।

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