इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकी की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Update: 2018-05-22 04:58 GMT

सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकी फसीह महमूद की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने का फैसला किया है जिसे 2012 में सऊदी अरब से प्रत्यर्पित किया गया था। उसे यहां कथित तौर पर अवैध हथियार फैक्ट्री लगाने के मामले में प्रत्यर्पित किया गया था।

सोमवार को जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने फसीह की वकील से याचिका की प्रति राज्य के वकील को देने के निर्देश दिए हैं।

इस सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामाकृष्णन ने कहा कि इस केस में 70 लोगों की गवाही होनी है लेकिन वो इस केस से जुडे़ नहीं हैं।

गौरतलब है कि 17 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) के संदिग्ध सदस्य फसीह महमूद को जमानत देने से इनकार कर दिया था।  कोर्ट ने कहा था कि महमूद के खिलाफ अपराध की जघन्यता और गंभीर आरोपों को देखते हुए उसे जमानत देने का वैध कारण नहीं है जो आईएम के सह-संस्थापक यासिन भटकल का सहयोगी है।

जस्टिस एसपी गर्ग ने कहा था कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आरोपी को 2016 में जमानत देने से इनकार कर चुके हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि तथ्यों के आधार पर जमानत देने से इनकार किया जा चुका है और परिस्थितियों में कोई विशेष बदलाव नहीं है इसलिए यह अदालत याचिकाकर्ता को जमानत देने का कोई वैध कारण नहीं पाती है क्योंकि उसके खिलाफ जघन्य अपराध और गंभीर आरोप लगे हुए हैं। वह भारत में इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे गैरकानूनी संगठन का सदस्य है। जमानत याचिका खारिज की जाती है।

दरअसल दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने मीर विहार इलाके से भारी मात्रा में अवैध हथियार एक अवैध फैक्टरी से बरामद किए थे। पुलिस ने दावा किया था कि भटकल और उसके साथी जिनमें फसीह भी शामिल है, ने देश भर में आतंकी हमलों की साजिश रची थी।

पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर महमूद को आईएम के  दरभंगा मॉड्यूल के प्रमुख सदस्यों में से एक माना जाता है जिसने 2008 से देश में विभिन्न आतंकवादी हमले किए थे।

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