राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य लोकसेवा आयोग से कहा कि वह प्रशासनिक और सहयोगी सेवाओं के ऑनलाइन आवेदन में आधार पर जोर न डाले [याचिका पढ़े]
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को निर्देश दिया है कि वह राजस्थान प्रशासनिक सेवा और सहयोगी सेवा 2018-19 के लिए ऑनलाइन आवेदन में आधार पर जोर न डाले। इन दोनों सेवाओं के दो उम्मीदवारों ने आधार की वजह से अपना फॉर्म जमा नहीं कर पाने और आधार में अपना मोबाइल नंबर पंजीकृत नहीं होने के बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार, आरपीएससी और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को बीकानेर के 23 साल के नरसिंह राम और उसके भाई 25 वर्षीय मांगी लाल की याचिका पर नोटिस जारी किया है।
“इस बीच प्रतिवादियों को निर्देश दिया गया कि वे याचिकाकर्ताओं को ऑनलाइन आवेदन जमा करने दें और आधार पर जोर न दें और उनकी पहचान के लिए अन्य दस्तावेजों पर भरोसा करें,” यह आदेश न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह सिराधना ने दी है और राज्य एवं अन्य एककों को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
उम्मीदवारों को आधार से लिंक मोबाइल पर आने वाले ऑन-टाइम रजिस्ट्रेशन (ओटीआर) के प्रयोग से ही फॉर्म को सबमिट करना था जबकि उसका आधार मोबाइल से समय पर लिंक नहीं पाया।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आधार कार्ड पूरी तरह स्वैच्छिक है और इसे आवश्यक नहीं बनाया जा सकता और आयोग को कहा जाए कि वह आधार के साथ पंजीकृत मोबाइल के द्वारा पंजीकरण करने के बारे में जारी अधिसूचना वापस ले।
उम्मीदवारों ने यह भी कहा कि आधार पर जोर डालने के बजाय उन्हें पहचान के लिए किसी अन्य दस्तावेज के प्रयोग की अनुमति मिलनी चाहिए जिसे भारत सरकार ने जारी किया है जैसे मतदाता पहचान पत्र, किसी राष्ट्रीयकृत बैंक का पासबुक आदि।
उम्मीदवारों ने अपने वकीलों के माध्यम से कहा कि उन्होंने अपने मोबाइल को आधार से लिंक कराने की प्रक्रिया पूरी कर चुका है पर अभी तक यूआईडीएआई ने इसे अपडेट नहीं किया है और इस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।
इस संदर्भ में अखिल बंगाल अल्पसंख्यक छात्र परिषद एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य का उदाहरण भी दिया गया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई 2006 को जारे अधिसूचना को स्थगित कर दिया था कहा था जिसमें विभिन्न स्कालरशिप को आधार से आवश्यक रूप से जोड़ने की बात कही गई थी।