बॉम्बे हाई कोर्ट ने विवाहेत्तर संबंधों के कारण नौकरी से हटाई गई शिक्षक को बहाल करने को कहा [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-05-03 14:21 GMT

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूर्वी मुंबई के एक स्कूल को निर्देश दिया है कि वह विवाहेत्तर संबंधों के आरोप में नौकरी से हटाई गई शिक्षक को दुबारा बहाल करे।

न्यायमूर्ति भारती एच डांगरे और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने आदेश दिया कि शिक्षक को तत्काल दुबारा नौकरी पर रखा जाए और यह भी कहा कि इस मामले के तथ्य काफी अजीबोगरीब हैं।

एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षक को विवाहेत्तर संबंध होने के आधार पर नौकरी से हटा दिया गया था।

इस शिक्षक ने शिक्षा अधिकारी के समक्ष अपील की जिसने 12 जुलाई को उसकी बर्खास्तगी को निरस्त करते हुए 12 जुलाई 2016 को उसकी नौकरी बहाल कर दी।

पर शिक्षक को नौकरी पर दुबारा नहीं रखा गया सो उसने हाई कोर्ट में अपील की।

स्कूल के हेड मिस्ट्रेस की वकील ने कोर्ट से कहा कि चूंकि शिक्षा अधिकारी के आदेश के खिलाफ नगर निगम समिति में दूसरी अपील की गई, इसलिए स्कूल को शिक्षा अधिकारी के आदेश पर अमल करना जरूरी नहीं लगा।

इस पर हाई कोर्ट ने कहा, “बिना किसी स्थगन आदेश के सिर्फ अपील दायर करने भर से आदेश निरस्त नहीं हो जाता है। जब किसी सक्षम अधिकारी द्वारा दिया गया आदेश लागू है, तो प्रतिवादी नंबर 1 (हेड मिस्ट्रेस) और प्रतिवादी नंबर 2 को इसका पालन करना आवश्यक था।”

इसके बाद स्कूल ने इस शिक्षक को तत्काल नौकरी पर दुबारा रख लिया।

कोर्ट ने शिक्षक से स्कूल जाने को कहा और बताया कि स्कूल उनको तत्काल प्रभाव से उनके पद पर बहाल करेगा।

कोर्ट ने कहा कि निलंबन की अवधि के भुगतान के मुद्दे पर वह अंतिम सुनवाई के समय गौर करेगा।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर नगर निगम समिति स्कूल की अपील को मान लेती है तो हाई कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना वह लागू नहीं होगा। इस मामले की अगली सुनवाई अब 11 जून को होगी।


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