मद्रास हाई कोर्ट ने सरकारी विधि अधिकारियों के चयन के लिए दिशानिर्देश बनाने को कहा [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-04-30 15:28 GMT

कोई नियुक्ति राजनीतिक उद्देश्य या एक वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं की जानी चाहिए।”

 सरकारी विधि अधिकारी के चयन के बारे में एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने सरकार को सरकारी विधि अधिकारियों के चयन के बारे में दिशानिर्देश तय करने का निर्देश दिया है।

यह याचिका “मद्रास हाई कोर्ट और इसके मदुरै पीठ के लिए विधि अधिकारियों की (नियुक्त), नियम, 2017” के खिलाफ दायर की गई है। इसके नियम 5 के मुताबिक़, एडवोकेट जनरल को सरकारी विधि अधिकारी के रूप में नियुक्त होने वाले लोगों के नामों की सूची देनी होती है। एडवोकेट जनरल, क़ानून, सार्वजनिक और गृह विभाग के सचिव की चयन समिति इन नामों पर गौर करती है।

चयन के तरीकों को चुनौती इस आधार पर दी गई कि यह पंजाब राज्य एवं अन्य बनाम ब्रिजेश्वर सिंह चहल और अन्य के मामले में सुप्रीम ऑर्ट के फैसले के अनुरूप नहीं है। इस मामले में अपने फैसले में कोर्ट ने कहा था कि सरकारी विधि अधिकारी का चयन किसी भी तरह के मनमानेपन से मुक्त होना चाहिए। उनके अनुसार एडवोकेट को नामों की सूची आगे भेजने का अधिकार देना मनमाना है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्धौसे ने याचिकाकर्ता की दलील को नहीं मानते हुए कहा :

 हमारे विचार में, नियम 5 (4) एडवोकेट जनरल को बेलगाम अधिकार नहीं देता। एडवोकेट को आवेदनों की मात्र प्रारम्भिक जांच करनी होती है और इसके बाद वह इस सूची को सरकार को भेज देता है। वह किसी एडवोकेट के नाम चुनिंदा आधार पर रोक नहीं सकता...सरकार इस सूची को चयन समिति के सामने पेश करती है जिसमें एडवोकेट जनरल, सार्वजनिक, विधि और गृह विभाग के सचिव होते हैं।”

 कोर्ट ने कहा कि चयन का आधार क्या होगा इस बारे में कोई दिशानिर्देश नहीं है।

इसलिए कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह विधि अधिकारियों के के चयन के बारे में निश्चित दिशानिर्देश बनाए ताकि विभिन्न मानदंडों के अनुरूप चयन हो सके। पीठ ने आगे कहा कि इस पद के लिए योग्य एड्वोकेटों से आवेदन आमंत्रित करने के लिए मान्यताप्राप्त बार एसोसिएशनों में इसके लिए नोटिस लगाए जाने चाहिएं।


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