जब उच्च न्यायालयों द्वारा ट्रायल कोर्ट का रिकार्ड मंगाया जाए तो देरी से बचने के लिए इसकी फोटोकॉपी / स्कैन की गई प्रतिलिपि भेजी जाए : SC [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-04-29 15:18 GMT

 न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि यदि अदालत के रिकॉर्ड को उच्च न्यायालयों द्वारा मांगा जाता है तो ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड की फोटोकॉपी / स्कैन की गई प्रतिलिपि भेज सकती है और मूल को बरकरार रख सकती है ताकि कार्यवाही न रुके।

बेंच ने यह भी कहा कि जहां भी मूल रिकॉर्ड को अपीलीय / संशोधित अदालत द्वारा बुलाया गया है, उसकी फोटोकॉपी / स्कैन की गई प्रतिलिपि इसके संदर्भ के लिए रखी जा सकती है और मूल कॉपी तुरंत ट्रायल कोर्ट में लौटाई जाए।

"उन मामलों में जहां विशेष रूप से मूल रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है, ये कहते हुए कि फोटोकॉपी से उद्देश्य प्राप्त नहीं होगा, अपीलीय / पुनरीक्षण अदालत केवल अवलोकन  लिए रिकॉर्ड मांग सकती है और उसकी एक फोटोकॉपी / स्कैन की गई प्रतिलिपि रखते हुए इसे वापस कर दिया जाना चाहिए।”  बेंच ने कहा।

खंडपीठ के अनुसार वर्तमान दिशा निर्देश 28 मार्च, 2018 के तीन न्यायाधीश बेंच के फैसले को लागू करने के लिए जारी किए गए हैं, जिसमें अदालत ने फैसला सुनाया है कि सभी लंबित मामलों में जहां सिविल या आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाई गई है वो  आज से छह महीने की समाप्ति पर समाप्त हो जाएगा जब तक कि आदेश द्वारा असाधारण मामले में इस तरह की रोक को बढ़ाया न जाए।

   न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीश बेंच ने यह भी कहा कि भविष्य में जहां भी स्टे  दिया जाता है, वह आदेश की तारीख  से छह महीने की समाप्ति पर खत्म हो जाएगा जब तक कि एक आदेश द्वारा इसे विस्तार प्रदान नहीं किया जाता है।


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