छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा, सेक्स और नैतिकता से संबंधित शब्द ही केवल भद्दे शब्द हैं [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-04-28 16:41 GMT

यह एक स्थापित क़ानून है कि जो शब्द आम प्रकृति के हैं और बोलचाल की भाषा के अंग हैं, वे भद्दे शब्द नहीं हैं।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सार्वजनिक रूप से भद्दे शब्दों का प्रयोग करने के आरोपी एक व्यक्ति को यह कहते हुए बरी कर दिया है कि सिर्फ सेक्स और नैतिकता से जुड़े शब्द ही भद्दे शब्द होते हैं।

गवाहियों के बयान के अनुसार, आरोपी ने शिकायतकर्ता को सार्वजनिक रूप से ‘मा** च*’ कहा और उसे ज़िंदा जमीन में गाड़ देने की धमकी दी। इस पर सुनवाई अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 294 और 506 (भाग-2) के तहत दोषी माना।

आरोपी ने इस सजा के खिलाफ अपील की और न्यायमूर्ति राम प्रसन्न शर्मा ने कहा कि आरोपी ने जिन शब्दों का प्रयोग किया है वे बहुत ही आम शब्द हैं और आम बोलचाल की भाषा के शब्द भद्दे नहीं होते। वर्तमान मामले में, अपीलकर्ता ने जिन शब्दों का प्रयोग किया है उन्हें भद्दा नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये शब्द बहुत ही ज्यादा प्रयोग होते हैं और इनका प्रयोग बहुत ही अनजाने में किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ जो शब्द सेक्स और नैतिकता से जुड़े हैं वही भद्दे होते हैं।

“कोई अपराध हो इसके लिए अपराधिक मनःस्थिति का होना जरूरी है और अगर कोई शब्द अनजाने में बोला जाता है तो ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इसके पीछे कोई आपराधिक मंशा है। गवाहियों ने जिन शब्दों के बारे में बताया है उसको देखते हुए आईपीसी की धारा 294 के तहत कोई मामला नहीं बनता। और इसलिए उस व्यक्ति को इस अपराध से बरी किया जाता है।

कोर्ट ने उसे धमकी देने के अपराध से भी बरी कर दिया यह कहते हुए कि सिर्फ किसी शब्द के बोल भर देने से कोई अपराध नहीं हो जाता है बशर्ते की यह साबित नहीं हो जाए कि आरोपी ऐसा उस समय तत्काल करने की स्थिति में था।

जब अपीलकर्ता के पास उस समय कोई हथियार नहीं था यह अपराध करने के समय तो वह शिकायतकर्ता को कैसे मार सकता है। सिर्फ शब्दों के आधार पर ही अपराध नहीं ठहराया जा सकता है...और कोर्ट ने सुनवाई अदालत के फैसले को खारिज कर दिया।


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