प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 6(2) के तहत पिछले प्रभाव से नोटिस का प्रावधान नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
सुप्रीम कोर्ट ने एससीएम सोलिफर्ट लिमिटेड बनाम भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग मामले में कहा कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 6(2) के तहत पिछली प्रभाव से कोई सूचना नहीं दी जा सकती और ऐसा किया जाता है तो तो यह इस अधिनियम का उल्लंघन होगा।
वर्तमान मामले में शेयरों की पहली और दूसरी खरीद के बारे में नियमतः नहीं बताने पर कंपनी को दंडित किया। कंपनी ने कहा कि प्रस्तावित संयोजन की अनुमति मिलने के बाद उस पर दंड नहीं लगाया जाना चाहिए था और अगर नियमों का कोई उल्लंघन हुआ है तो वह तकनीकी था और ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि संयोजन के प्रस्ताव के बारे में आयोग को बताना जरूरी है।
“...संयोजन की जानकारी आयोग को देना जरूरी है। अधिनियम में कहा गया है कि आयोग की स्थापना ही इसलिए की गई है ताकि प्रतिस्पर्धा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े। संयोजन आयोग द्वारा आदेश देने से पहले लागू नहीं हो सकता और नोटिस की तिथि से किसी समय यह समाप्त नहीं हो सकता और यह धारा 126 (2A) के प्रावधानों से स्पष्ट है जिसमें कहा गया है कि कोई भी संयोजन नोटिस जारी करने के 210 दिनों के बीत जाने से पहले अमल में नहीं आ सकता है...”, पीठ ने कहा।
कोर्ट ने कहा कि अधिनियम का उद्देश्य संयोजन बनाने की अनुमति देना है और आयोग को यह मौक़ा मिलता है कि वह आकलन कर सके कि प्रस्तावित संयोजन का प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा या नहीं।
पीठ ने इस दलील को नहीं माना कि जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए था क्योंकि मंशा गलत नहीं थी।