आठ साल पुराने संबंध के दौरान हुए सहवास को बलात्कार कहना मुश्किल है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
महिला ने आरोप लगाया था कि वे पति-पत्नी की तरह रह रहे थे
“शादी का झांसा देकर बलात्कार करने” के मामले को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आठ साल तक चले संबंधों के दौरान हुए सहवास को “बलात्कार” बताना मुश्किल है।
वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता ने खुद ही कहा था कि वे पिछले आठ वर्षों से पति-पत्नी की तरह रह रहे थे और यह आदमी अब उससे दूर भागना चाहता है और उसको धोखा देना चाहता है। उसने इस व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार और धोखाधडी का आरोप लगाते हुए शिकायत की।
इस पुरुष ने कर्नाटक हाई कोर्ट में अपील की पर कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी अपील नहीं सुनी कि अगर कोई पुरुष शादी का वादा करता है और यौन संबंध बनाता है और अगर यह साबित हो जाता है कि शुरू से ही शादी का उसका कोई इरादा नहीं था तो उसे बलात्कार समझा जाएगा।
इस व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने कहा, “हम यहाँ इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहते कि अपीलकर्ता और शिकायतकर्ता वास्तव में शादीशुदा थे, हमें कोई संदेश नहीं है कि दोनों शादीशुदा के रूप में साथ रहे और यह शिकायतकर्ता भी स्वीकार करता है”।
कोर्ट ने कहा कि उस पुरुष के खिलाफ लगाये गए आरोप अदालत में टिक नहीं सकते जिसने कि हो सकता है कि शिकायतकर्ता से शादी करने का वादा किया हो।
अपील की अनुमति देते और शिकायत को निरस्त करते हुए कोर्ट ने कहा : “हालांकि आठ साल तक चले संबंधों के दौरान हुए यौन संबंधों को “बलात्कार” कहना मुश्किल है खासकर तब जब शिकायतकर्ता ने खुद स्वीकार किया है कि वे पति-पत्नी की तरह रह रहे थे”।