मणिपुर हाई कोर्ट में सिर्फ दो जज : सुप्रीम कोर्ट ने अंतरअदालतीय अपील को गुवाहाटी हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-04-12 13:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट को मणिपुर सरकार द्वारा दायर एक बहुत ही दिलचस्प ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई का मौक़ा मिला।

राज्य ने एक मामले को मणिपुर हाई कोर्ट से इस आधार पर गुवाहाटी हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का आग्रह किया कि हाई कोर्ट में सिर्फ दो ही जज हैं और इनमें से एक जज द्वारा दिए गए आदेश को एक खंडपीठ में चुनौती दिया जाना है। चूंकि हाई कोर्ट में सिर्फ दो ही जज हैं, अंतरअदालतीय मामले की सुनवाई के लिए खंडपीठ का गठन नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति के नोबिन सिंह ने नलिनीबाला देवी को एक याचिका दायर करने की अनुमति दे दी थी। उन्होंने अपनी याचिका में एक नर्सिंग कॉलेज में प्रोफ़ेसर सह उप प्राचार्य के पद पर अपनी नियुक्ति की मांग की थी। राज्य ने रिट अपील को तरजीह दिया।

चूंकि दूसरे पक्ष ने इस बात का विरोध नहीं किया, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने अपील मानते हुए मामले को गुवाहाटी हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।

इस समय, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एन कोतिस्वर सिंह और न्यायमूर्ति के नोबिन सिंह ही इस हाई कोर्ट के दो जज हैं।

हाल में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्याय विभाग की इस बात पर गौर किया था कि एक जज को मणिपुर हाई कोर्ट भेज दिया जाए क्योंकि वहाँ जजों की संख्या कम है। कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति सोंगखुपचुंग सेर्तो की मणिपुर हाई कोर्ट में स्थाई नियुक्त की अनुशंसा की थी। न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी जो कि इस समय हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में वरिष्ठतम जज हैं, को मणिपुर हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की अनुशंसा की गई है।

मणिपुर हाई कोर्ट की स्थापना 23 मार्च 2013 को हुई। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे जो कि इस समय सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, को इसका प्रथम मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था। न्यायमूर्ति एन कोटीश्वर सिंह को भी उसी दिन शपथ दिलाई गई थी। न्यायमूर्ति नोबिन सिंह को हाई कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नति 26 नवंबर 2014 को मिली।


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