पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: राज्य चुनाव आयोग के फैसले पर बीजेपी फिर सुप्रीम कोर्ट में, बुधवार को सुनवाई
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के उस कदम को चुनौती दी है जिसमें उसने पहले नामांकन जमा करने की अंतिम तारीख को 9 अप्रैल से बढ़ाकर 10 अप्रैल कर दिया था लेकिन मंगलवार सुबह इस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया। बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट से नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख बढाने की गुहार लगाई है।
मंगलवार को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग की गई और सुप्रीम कोर्ट बुधवार को ही सुनवाई करने को तैयार हो गया।
बीजेपी की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौ अप्रैल को राज्य चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल पंचायत एक्ट, 2003 की धारा 46 की उपधारा 2 के तहत शाम छह बजे नोटिफिकेशन जारी कर
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 9 अप्रैल से बढ़ाकर 10 अप्रैल सुबह 11 बजे से 3 बजे तक बढा दिया था। लेकिन बुधवार सुबह 11 बजे इसे वापस ले लिया गया।
अर्जी में कहा गया है कि ये कदम राज्य सरकार और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से मिलने के बाद उठाया गया। इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग का ये कदम सुप्रीम कोर्ट के 9 अप्रैल के आदेश की भावना के खिलाफ है जिसमें कहा गया कि किसी को भी नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। वहीं चुनाव आयोग ने सीधे तौर पर माना था कि बीजेपी प्रत्याशियों के साथ हिंसा हो रही है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की तारीख को बढ़ाया जाए।
इससे पहले सोमवार को पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव के मामले में राज्य की बीजेपी इकाई की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस ए एम सपरे ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वो पंचायत चुनाव में दखल नहीं देंगे। हालांकि बीजपी इस मुद्दे पर राज्य चुनाव आयोग से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र है।
शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव के मामले में राज्य की बीजेपी इकाई की याचिका पर सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान राज्य की बीजेपी इकाई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और पीएस पटवालियाने कहा था कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। कांग्रेस और बीजेपी आमतौर पर साथ नहीं होते लेकिन इस मुद्दे पर दोनों साथ हैं। कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनाव के खिलाफ याचिका दाखिल की है। बीजेपी उम्मीदवारों को नामांकन भी भरने नहीं दिया जा रहा है। उनके साथ हिंसा हो रही है, धमकाया जा रहा है।पंचायत चुनाव को लेकर 70 हजार मतदान बूथों के लिए पर्याप्त सुरक्षा मुहैया हो। ऐसे में उन्हें व उनके परिवार को सुरक्षा दी जाए और ऑनलाइन नामांकन दाखिल करने की मंजूरी दी जाए और तब तक नामांकन की तारीख भी बढ़ाई जाए। उन्होंने हिंसा से जुड़ी कुछ तस्वीरें व वीडियो भी बेंच को दिए हैं।
दूसरी ओर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि राज्य में बीजेपी की उपस्थिति जीरो है। ये याचिका सिर्फ मीडिया में आने के लिए है। कोर्ट ने खुद ही कहा है कि एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरु होती है तो कोर्ट दखल नहीं देगा। ये आरोप गलत हैं और इस शिकायत को लेकर किसी भी उम्मीदवार ने शिकायत नहीं की। ऑनलाइन नामांकन को मंजूरी नहीं दी जा सकती क्योंकि रिटर्निग अफसर को प्रत्याशी और दस्तावेज की पडताल करनी पड़ती है।
वही राज्य चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण ने भी बीजेपी की याचिका का विरोध किया था।
इस दौरान केंद्र की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने कहा था कि ये चुनाव आयोग और राज्य के बीच का मामला है। केंद्र सरकार का दायित्व है कि वो चुनाव के लिए सुरक्षा प्रदान करे और इसके लिए केंद्र की तरफ से अर्धसैनिक बलों व सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है।
दरअसल पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई ने एक याचिका मेंसत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं पर उसके उम्मीदवारों को राज्य में आगामी पंचायत चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करनेसे रोकने के आरोप लगाए थे और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
याचिका में इसी साल मई के महीने में होने वाले पंचायत चुनावों के सुचारु संचालन के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आग्रह किया गया। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 9 अप्रैल थी। मतदान 1, 3 और 5 मई को आयोजित किया जाएगा।
पश्चिम बंगाल की ओर से कहा गया कि बीजेपी उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओंको " धमकाने और शारीरिक हिंसा के अधीन" किया जा रहा है ताकि उन्हें नामांकन दाखिल करने से रोक दिया जा सके।
"वर्तमान रिट याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस माननीय न्यायालय की असाधारण शक्ति का आह्वान किया जा रहा है ताकि भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल के उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और वो नामांकन फॉर्म जमा कर और पंचायत चुनाव में भाग ले सकें जो 01.05.2018, 03.05.2018 और 05.05.2018को पश्चिम बंगाल राज्य में निर्धारित हैं। “